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MP latest News : दागी अफसरों के खिलाफ आपराधिक मामले में होगा एक्शन,नौकरी बचाना हो जाएगा मुश्किल

एमपी में लोकायुक्त संगठन और और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की ओर डब्लू के ट्रक और छापे के प्रकरणों के साथ-साथ विभागीय जांच भी होगी। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इस संबंध में पूर्व में जारी आदेशों को निरस्त कर दिया है। विभाग

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एमपी में लोकायुक्त संगठन और और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की ओर डब्लू के ट्रक और छापे के प्रकरणों के साथ-साथ विभागीय जांच भी होगी। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इस संबंध में पूर्व में जारी आदेशों को निरस्त कर दिया है। विभाग ने इसको लेकर प्रदेश के समस्त विभागों संभागीय आयुक्त और कलेक्टरों को पत्र जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में जीडी ने स्पष्ट किया है कि अब सामान्य तथ्यों तथा साक्ष्यों के आधार पर कर्मचारियों के विरुद्ध अपराधिक मामले की कार्रवाई तथा विभागीय कार्रवाई साथ-साथ चल सकती है।

शासकीय सेवक के ट्रैप और छापे के प्रकरणों की जांच के साथ-साथ विभागीय जांच भी चलेगी

बता दे सामान्य प्रशासन विभाग ने वर्ष 2013 में एक आदेश जारी कर लोकायुक्त संगठन और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ और डब्लू द्वारा डाले गए छापे अथवा ट्रैक प्रकरण में विवेचना के दौरान विभागीय स्तर पर समांतर जांच की कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए थे। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू द्वारा की गई विवेचना के बाद ही जांच एजेंसी द्वारा की गई अनुशंसा के आधार पर विभाग द्वारा कार्रवाई करने के निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग ने दिए थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ राजस्थान विरुद्ध एवं बीके मीणा एवं अन्य के मामले में दिए गए फैसले में यह अभिमत दिया गया है कि सामान्य तथ्यों तथा साक्ष्यों के आधार पर अपचारी कर्मचारियों के विरुद्ध आपराधिक मामले की कार्रवाई और विभागीय कार्रवाई साथ -साथ चल सकती है।

ट्रैप और छापे के प्रकरणों की जांच के साथ-साथ चलेगी विभागीय जांच

सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में अधिकारी, कर्मचारी लोकायुक्त व EOW के प्रकरण में दोषी तो करार दिए जाते थे, लेकिन कुछ प्रकरणों में विभागीय जांच में दोषमुक्त हो जाते है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब प्रदेश में संबंधित शासकीय सेवक के ट्रैप और छापे के प्रकरणों की जांच के साथ-साथ विभागीय जांच भी चलेगी।

दोषी होने के बाद भी विभागीय जांच में बस जाते थे सरकारी सेवक

2013 में जारी परिपत्र के आधार पर कई अधिकारी कर्मचारी लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के प्रकरण में दोषी तो करार दिए जाते थे लेकिन कुछ प्रकरणों में विभागीय जांच में दोषमुक्त हो जाते थे। जीएडी के नए परिपत्र के बाद अब ट्रैप और छापे के प्रकरणों के साथ विभागीय जांच भी चलेगी। इससे किसी भी एक जांच में दोष सिद्ध होने पर शासकीय सेवक का बचना मुश्किल होगा।

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English summary
Lokayukta and EOW raids and trap cases in MP will run along with departmental investigation
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