सरकारी टीचर को राहुल गांधी से मुलाकात करना पड़ा भारी,गवानी पड़ी अपनी नौकरी : Bharat Joda Yatra
बड़वानी के एक शिक्षक को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने पर सस्पेंड कर दिया गया। उसे उसे निलंबन पत्र में बताया गया कि उसने सिविल सेवा आचरण 1965 के नियम पाच का उल्लंघन किया है।
एमपी में बड़वानी जिले के प्राथमिक शाला गुजरी विद्यालय के शिक्षक राजेश कनोजे को राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होना भारी पड़ गया है। दरअसल सहायक आयुक्त बड़वानी द्वारा राजेश को निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने 24 नवंबर को आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता के साथ भारत जुड़े यात्रा में पहुंचकर राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इतना ही नहीं आदिवासी समाज के मुद्दों पर बात करने के बाद उन्हें तीर कमान भी भेंट की थी। निलंबन पत्र में बताया गया कि उन्होंने राजनीतिक दल की रैली में शामिल होकर मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण 1965 के नियम-5 का उल्लंघन किया है। इस वजह से उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।
शिक्षक राजेश कनोजे के निलंबन के बाद राजनीति गरमा गई। कांग्रेस विधायक और प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन का कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से शिवराज सरकार घबरा गई है। उन्होंने कहा कि भारी संख्या में ऐसे कर्मचारी है जो बीजेपी के राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, लेकिन अब तक सरकार ने उन्हें कभी निलंबित नहीं किया। बाला बच्चन ने कहा कि मैंने शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई का आर्डर देखा इससे साफ होता है कि शिवराज और बीजेपी डरी हुई है। चुनाव आने वाला है जनता इसका हिसाब जरूर करेगी।
इस मामले पर सहायक आयुक्त नीलेश रघुवंशी ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। जब मीडिया कर्मियों ने उनसे सरकार के दबाव को लेकर सवाल किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। उनका सर आज चुप्पी साध लेना ही यह बताने के लिए काफी है कि सहायक आयुक्त ने ऐसा क्यों किया।
वही निलंबित शिक्षक राजेश कनोजी ने बताया कि मैं शिक्षक हूं। मुझे राहुल गांधी से मुलाकात के चलते सस्पेंड किया गया है। मैंने राहुल गांधी से आदिवासी समाज की समस्याओं के संबंध में मुलाकात की थी उन्हें बताया जाए कि जल जंगल जमीन कंपनियों के हाथ में जा रही है। फॉरेस्ट एक्ट के तहत जो अधिकार हमारे लोगों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। गौरतलब है कि शिवराज सरकार लगातार आदिवासियों को रिझाने के लिए नई योजनाएं बना रही है लेकिन इस तरह से का आदिवासी टीचर को सस्पेंड कर देना प्रशासनिक और शासन स्तर पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।