भोपाल का इस्लामनगर अब हुआ जगदीशपुर, महलों का होगा रिनोवेशन, 308 साल पुरानी पहचान लौटी
राजधानी से 13 किलोमीटर दूर पर्यटन स्थल इस्लामनगर का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया गया है। केंद्र सरकार की अनुमति के बाद बुधवार को राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर गांव का नाम जगदीशपुर कर दिया।
भोपाल से 13 किलोमीटर दूर स्थित इस्लामनगर अब जगदीशपुर नाम से जाना जाएगा राज्य सरकार ने इसका नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया है। राज्य पत्र में इसकी अधिसूचना भी प्रकाशित कर दी गई है। हलाली नदी के किनारे बसे इस्लामनगर का किला बहुत सुंदर है। इस्लामनगर को पहले जगदीशपुर के नाम से ही जाना जाता था। यहां पर राजपूत राजा का शासन हुआ करता था। आखिर कैसे जगदीशपुर इस्लामनगर बन गया था, जानिए इसके पीछे के की पूरी कहानी...
जगदीशपुर के राजा को धोखे से मारा
भोपाल के बैरसिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक विष्णु खत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर के राजा को धोखे से मार दिया और जगदीशपुर पर कब्जा कर लिया था। जगदीशपुर का नाम तब बदलकर इस्लामनगर रख दिया गया था। इस्लामनगर में चमन महल का निर्माण सन् 1715 में दोस्त मोहम्मद खान द्वारा कराया गया। यहां का रानी महल भी बहुत खूबसूरत है। इसके जीर्णोद्धार की जरूरत है। नाम बदले जाने के बाद राज्य की शिवराज सरकार फिर से इसे अपने मूल रूप में लाने की तैयारी कर रही है।
308 साल पुराना इतिहास
बता दे दोस्त मोहम्मद खान अफगानिस्तान के खैबर के तीराह का रहने वाला था। 1696 वे उत्तर प्रदेश के जलालाबाद आ गया था। उसका स्वभाव अहंकारी था। छोटी सी छोटी बात पर झगड़ा शुरू कर देता था। इतिहासकार मोहम्मद सलीम बताते हैं कि दोस्त मोहम्मद ने अमीर जलाल खान के दामाद को सरेआम मार डाला था। इसके बाद वे भागकर करनाल और फिर दिल्ली चला गया। जहां मुगल सेना में भर्ती हो गया। मुगल सेना में भर्ती होने के बाद मराठा युद्ध के चलते दोस्त मोहम्मद 1703 में मालवा आ गया। यहां उसने अपने सभी हथियारों को विदिशा के शासक मोहम्मद फारुख के पास जमा कर दिया और मामूली झगड़े के बाद उसकी भी हत्या कर दी था। इसके बाद वे मंगलगढ़ में शरण पाने में सफल हो गया और वहां के महाराज महारानी के साथ महल में रहने लगा।
बैरसिया पर किया कब्जा
दोस्त मोहम्मद का चालक था कि उसने मंगलगढ़ के महाराज की मृत्यु हो जाने पर मंगल गढ़ को भी लूट लिया था। इसके बाद वे सारा खजाना लेकर बैरसिया पहुंच गया। यहां भी अपने स्वभाव के अनुसार उसने सूबेदार ताज मोहम्मद से पहले तो बैरसिया को लीज पर लिया। इसके बाद उसे भी धोखा देकर बैरसिया पर कब्जा कर लिया।
1715 में दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर किया था आक्रमण
इस्लामनगर के किले में 11 वीं सदी के परमार कालीन मंदिर के पत्थर और मूर्तियां मिलती हैं। संभवत है कि यहां पर परमारकालिन मंदिर रहे होंगे। परमारों के उपरांत ये क्षेत्र गढ़ा-मंडला जबलपुर के गोंड राजा संग्राम शाह के बावन गढ़ों में से एक था, इसलिए यहां पर एक गोंड महल भी है। गोंड शासन के बाद ये किला देवड़ा राजपूतों के अधीन रहा। 1715 में दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर आक्रमण किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। राजपूतों पर आक्रमण में असफल रहे दोस्त मोहम्मद ने अपने स्वभाव के अनुरूप फिर से षड्यंत्र की योजना बनाई। और राजपूत राजा देवराज चौहान को बेस नदी किनारे से खाने के लिए बुलाया। जब देवरा चौहान समेत सभी राजपूत मेहमान रात्रि भोज कर रहे थे तभी तंबू की रसिया काट दी गई और धोखे से सभी राजपूतों को हलाल कर दिया गया।
हलाली नदी के नाम के पीछे ये है वजह
बैरसिया के स्थानीय लोगों की माने तो हलाली नदी के नाम के पीछे यही कहानी बताई जाती है कि जब दोस्त मोहम्मद ने राजपूतों को धोखे से मारा तो नदी में इतना खून बह गया कि उसका पानी लाल हो गया, तभी से इस नदी का नाम हलाली नदी पड़ गया। इस तरह से धोखे से जगदीशपुर पर दोस्त मोहम्मद ने कब्जा कर लिया और उसका नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया।