बाराबंकी: 100 साल पुराने विवादित स्थल पर चला बुलडोजर, मुस्लिम संगठनों ने कार्रवाई को बताया गलत
बाराबंकी, मई 18: खबर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से है। यहां पुलिस-प्रशासन ने करीब 100 साल पुरानी मस्जिद को लॉकडाउन के दौरान ढहा दिया और मलबा हटवा दिया। मस्जिद ढहाने की खबर आग की तरफ फैल गई। तो वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम संगठनों ने प्रशासन की कार्यवाही को गलत बताया है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं, दूसरी तरफ ज़िलाधिकारी ने बयान जारी करते हुए उक्त विवादित स्थल को अवैध करार दिया है।
17 मई को बाराबंकी जिला प्रशासन ने रामसनेही घाट तहसील परिसर में मौजूद विवादित स्थल को गिरा दिया और मलबे को भी हटवा दिया। जिसके बाद यह स्थल चर्चाओं में आ गया। विवादित स्थल को ढहा दिए जाने पर अब मुस्लिम धर्मगुरु मोहम्मद साबिर अली रिजवी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, 'तहसील में स्थित गरीब नवाज मस्जिद को प्रशासन ने बिना किसी कानूनी औचित्य के सोमवार रात पुलिस के कड़े पहरे के बीच शहीद कर दिया। यह मस्जिद 100 साल पुरानी है और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में इसका इंद्राज भी है।'
मुस्लिम धर्मगुरु मोहम्मद साबिर अली रिजवी ने कहा, 'इस मस्जिद के सिलसिले में किसी किस्म का कोई विवाद भी नहीं है। उन्होंने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से इसके लिए जिम्मेदार अफसरों को निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच कराने और मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग की।' तो वहीं, बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने कहा कि तहसील की सुरक्षा को देखते हुए 18 मार्च को उसे तहसील टीम द्वारा कब्जे में ले लिया गया था। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल रिट संख्या 7948/21 में पक्षकारों का प्रत्यावेदन निस्तारित करने पर यह तथ्य सामने आया कि तहसील परिसर में बना आवासीय परिसर अवैध है।
हाई
कोर्ट
की
शरण
में
गए
थे
पक्षकार
रामसनेहीघाट
के
उपजिलाधिकारी
ने
मस्जिद
कमेटी
से
मस्जिद
के
आराजी
से
संबंधित
कागजात
मांगे
थे।
इस
नोटिस
के
खिलाफ
मस्जिद
प्रबंधन
कमेटी
ने
इलाहाबाद
उच्च
न्यायालय
में
याचिका
दाखिल
की
थी
और
अदालत
ने
समिति
को
18
मार्च
से
15
दिन
के
अंदर
जवाब
दाखिल
करने
की
मोहलत
दी
थी।
इसके
बाद
1
अप्रैल
को
जवाब
दाखिल
कर
दिया
गया,
लेकिन
इसके
बावजूद
बगैर
किसी
सूचना
के
एकतरफा
तौर
पर
जिला
प्रशासन
ने
मस्जिद
ढहा
दिया।
डीएम
ने
दी
सफाई
प्रशासन
की
इस
कार्रवाई
पर
डीएम
डॉ
आदर्श
सिंह
का
कहना
है
कि
तहसील
परिसर
में
उपजिला
मजिस्ट्रेट
के
आवास
के
सामने
अवैध
रूप
से
बने
आवासीय
परिसर
के
संबंध
में
कोर्ट
ने
संबंधित
पक्षकारों
को
15
मार्च
2021
को
नोटिस
भेजकर
स्वामित्व
के
संबंध
में
सुनवाई
का
मौका
दिया
था।
नोटिस
तामील
होते
ही
परिसर
में
निवास
कर
रहे
लोग
परिसर
छोड़कर
फरार
हो
गए,
जिसके
बाद
सुरक्षा
की
दृष्टि
से
18
मार्च
2021
को
तहसील
प्रशासन
द्वारा
अपना
कब्जा
प्राप्त
कर
लिया
गया।