Mission Prarambh: जानिए कौन है बालाघाट के साइंटिस्ट सौरभ पटले, विक्रम-S रॉकेट की लॉन्चिंग टीम में थे शामिल
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस की लॉन्चिंग से नए युग की शुरुआत हुई। अंतरिक्ष प्रक्षेपण की दुनिया को नई राह तो दिखाई ही, साथ ही लॉन्चिंग में साइंटिस्ट की टीम में शामिल सौरभ पटले ने मध्यप्रदेश का नाम भी रोशन किया। बालाघाट जिले के रहने वाले सौरभ के कंधो पर टेक्निकल पार्ट का जिम्मा था। एयरो स्पेस में ग्रेजुएशन करने के बाद वह 2014 से इसरो के साथ हैं।
टेक्निकल टीम में शामिल रहे सौरभ
मध्यप्रदेश में बालघाट जिला भले ही कहने के पिछड़ा इलाका हो लेकिन यहां के स्टूडेंट्स तरक्की के रास्तों में महानगरों में रहने वालों से कम नहीं। यह साबित किया है प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस की लॉन्चिंग टीम में शामिल सौरभ पटले ने। वे मूलतया एमपी के बालाघाट जिले के रहने वाले है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से विक्रम-S की लॉन्चिंग में उनकी भी बड़ी भूमिका रही। इनस्पेस में वह सहायक निदेशक के पद पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
बालाघाट में हुआ स्कूल एजुकेशन, एयरो स्पेस में ग्रेजुएशन
सौरभ पटले की स्कूल शिक्षा एमपी के बालाघाट में प्राइवेट स्कूल में पूरी हुई। शुरू से साइंटिस्ट बनने का सपना दिल में संजोया था। हायर सेकण्डरी में मैथ्स साइंस लिया। 12वीं के बाद एक साल का ड्रॉप लेकर आईआईटी की तैयारी की और सिलेक्शन हो गया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी IIST त्रिवेंद्रम में चयन होने के बाद एयरो स्पेस में ग्रेजुएशन किया। 2014 से अब तक इसरो के साथ जुड़े है।
सौरभ के पिता कलेक्ट्रेट में है पदस्थ
रॉकेट विक्रम-S की लॉन्चिंग टीम में सौरभ के होने का परिवार को पता चला, उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। निर्वाचन पर्यवेक्षक पद से रिटायर्ड सौरभ के पिता बताते है कि उनके बेटे ने जिंदगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दी हैं। विक्रम एस रॉकेट जब लांच हुआ तो सौरभ की मां ईतन पटले, पत्नी युक्ति और उसकी चार बहनें ख़ुशी से झूम उठी। बालाघाट के लोग भी खुश है कि उनके शहर का एक लड़का इतनी बुलंदी छू रहा है।
मिशन को ‘प्रारंभ’ दिया गया नाम
बताया गया कि रॉकेट (विक्रम-एस) का हैदराबाद में स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी ने निर्माण किया। सभी तैयारियों के साथ इस मिशन को 'प्रारंभ' नाम दिया गया है। राकेट विक्रम एस का प्रक्षेपण देश की स्पेस इंडस्ट्री में प्राइवेट सेक्टर के प्रवेश को नई ऊंचाइयां और नया आयाम देगा। रॉकेट का नाम ''विक्रम-एस'' भारत के महान वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।