अहमदाबाद: मात्र 250 रुपए के लिए बाप ने बेटी से रिश्ते से किया इनकार
अहमदाबाद। मात्र 250 रुपए के लिए बेटी के साथ रिश्ते से इनकार करते हुए एक बाप ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाई कोर्ट ने बाप की याचिका को खारिज करते हुए उसे फटकार लगाई। डीएनए जांच से पहले ही यह साबित हो चुका था कि वह बेटी का असली बाप है।
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'मैं इस लड़की का जैविक पिता नहीं हूं'
गुजरात हाई कोर्ट में याचिका डालकर पिता ने कहा कि वह लड़की का जैविक पिता नहीं है। इसलिए खर्च के लिए हर महीने 250 रुपए लेने का दावा लड़की नहीं कर सकती।
क्या है मामला?
2000 में याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी के बीच विवाद शुरू हुआ। पत्नी मामले को फैमिली कोर्ट ले गई। कोर्ट में पत्नी ने अपने लिए व छोटी बच्ची के लिए पति से खर्चा देने की मांग की।
कुछ महीनों की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह पत्नी को 500 रुपया और बेटी के लिए 250 रुपया हर महीने दिया करेगा।
पति ने खर्चा देना बाद में बंद कर दिया
पति ने पहले तो कुछ महीने खर्चा देना जारी रखा लेकिन बाद में धीरे-धीरे उसने पैसा देना बंद कर दिया। पत्नी फिर बकाया राशि को लेकर कोर्ट चली गई और पति को जेल में डालने की मांग की। कोर्ट ने जेल में डालने की मांग को अस्वीकार कर दिया लेकिन पति को बकाया राशि जमा करने के आदेश दिए।
इसके बाद पति पहुंचा हाई कोर्ट
कोर्ट ने बकाया राशि जमा करने के लिए जो समय दिया था, उससे तीन महीने देरी से पति पैसा लेकर जमा कराने आया। उसने हाई कोर्ट में याचिका डालकर इस देरी के लिए माफी मांगी और कहा कि वह बेटी का जैविक का पिता नहीं है इसलिए उसे 250 रुपए खर्च देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने लगाई याचिकाकर्ता को फटकार
250 रुपए के लिए बेटी को बेटी मानने से इनकार करने वाले याचिकाकर्ता को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पहले ही डीएनए सबूतों से यह साफ हो चुका है कि वह लड़की के जैविक पिता हैं इसलिए बेटी को खर्च देने की जिम्मेदारी से उसको मुक्त नहीं किया जा सकता।
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