विहिप को बाढ़ में डूब रहे 'हिन्दुओं' की चिंता क्यों नहीं?
[बविता झा] "धर्मो रक्षति रक्षित:" यानी जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। हिन्दु धर्म की रक्षा का दावा करने वाली विश्व हिन्दु परिषद भगवान ने राम के नाम पर राजनीति का नया अध्याय शुरु कर दिया है। राम राज्य की 84 कोसी परिक्रमा कर अपना स्वार्थ साधने में लगी विहिप का जब लक्ष्य पूरा नही हुआ तो हिन्दुओं के ये रक्षक तलवार, त्रिशूल, भाले और गड़ासे लेकर सड़क पर उतर आये। जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान अस्त्र-शस्त्र लेकर सड़क पर उतरे विहिप कार्यकर्ता इलाहाबाद या वाराणसी क्यों नहीं गये, जहां हजारों लोग बाढ़ ग्रस्त इलाकों में फंसे हुए हैं। क्या बाढ़ में फंसे सारे लोग मुसलमान हैं? क्या उफनाई हुई गंगा-यमुना नदियों ने हिन्दुओं के घरों को बक्श दिया है? सीधा सवाल करें तो विहिप को बाढ़ में डूब रहे 'हिन्दुओं' की चिंता क्यों नहीं?
हिन्दुओं की रक्षा करने का दावा करने वाली विहिप को क्या उन लोगों का दर्द नहीं दिखता है जो बाढ़ के सैलाब में बह रहे हैं। भारत के कई राज्यों में बाढ़ विकराल रुप धारण कर चुकी है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्य बाढ़ की चपेट में है। पूरे देश में 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं। उनमें तमाम ऐसे हैं, जिन तक भोजन तक नहीं पहुंच रहा है। बाढ़ धर्म देखकर तबाही नहीं मचाती। बाढ़ में बहने वाले सिर्फ मुस्लिम, सिख, ईसाई ही नहीं, हिन्दु भी हैं। फिर विहिप का ध्यान उन लोगों की रक्षा पर क्यों नहीं जाता?
राम लला को उनके हक की जमीन दिलवाने का ठेका उठा चुकी विहिप पर एक सवाल यह भी उठता है, कि अगर उनका संगठन पूरे देश में फैला हुआ है, तो उनके कार्यकर्ता इन बाढ़ पीडि़तों की रक्षा करने क्यों नहीं आ रहे हैं। अगर बाढ़ का विकराल रूप देखना है तो उत्तर प्रदेश की गंगा, यमुना, गुजरात की नर्मदा, मध्य प्रदेश की क्षिप्रा, ताप्ती और कालीसिंध, आदि नदियों के पास जाकर देखिये। गुजरात का सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 131 मीटर को पार कर गया जो अब तक का अधिकतम जलस्तर है। भरुच नदी के खतरे के निशान तक मिट चुके हैं।
जरा सोचिये जितनी सेना अखिलेश सरकार को विहिप की परिक्रमा यात्रा रोकने में लगानी पड़ी, अगर उतनी ही सेना बाढ़ पीडि़तों की मदद के लिये पहुंच गई होती, तो अब तक उत्तर प्रदेश में 274 लोगों की जाने नहीं गई होतीं। इस खबर में हमने खास तौर से हिन्दुओं की रक्षा की बात इसलिये की है, क्योंकि विहिप खुद को उन्हीं की ठेकेदार कहती है।
धर्म रक्षा या शस्त्र प्रदर्शन
84 कोसी यात्रा के असफल होने के बाद विश्व हिन्दु परिषद ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरु कर दिया है। दिल्ली में जंतर-मंतर पर विपिह समर्थकों ने अस्त्र-शस्त्र के साथ सपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
क्या धर्म रक्षा का यहीं है रास्ता
प्रदर्शनकारी विपिह कार्यकर्ताओं ने तलवार-भालों के साथ प्रदर्शन किया। जब पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो उनके साथ हाथापाई तक की गई। क्या कानून तोड़ कर बनेगा राम मंदिर
ऐसे बनेगा राम मंदिर!
हिन्दु धर्म की रक्षा का दावा करने वाली विश्व हिन्दु परिषद भगवान ने राम के नाम पर राजनीति का नया अध्याय शुरु कर दिया है। राम राज्य के 84 कोसी परिक्रमा कर अपना स्वार्थ साधने में लगी विपिह का जब लक्ष्य पूरा नही हुआ तो हिन्दुओं की रक्षक तलवार, भालों और गड़ास से साथ सड़क पर उतर गए।
ये कैसी धर्म सेवा
क्या 84 कोसी की यात्रा और अयोध्या में राम लला की मंदिर का निर्माण हिन्दूओं के लिए सबकुछ है या फिर ये अस्तित्व की लड़ाई है।
बाढ़ धर्म देखकर नहीं मचाती तबाही
बाढ़ में बहने वाले सिर्फ मुस्लिम नहीं, हिन्दू भी है। फिर विपिह का ध्यान उन लोगों की रक्षा पर क्यों नहीं जाता। क्या मीडिया को आकर्षित कर यात्रा कर लेने और चिल्ला-चिल्लाकर भाषण दे देने से धर्म रक्षा हो जाएंगी?
यात्रा ने लगाई रुकावट
उत्तर प्रदेश में बाढ़ के बिगड़ते हालात को लिए अखिलेश सरकार को दोष दे रहे हैं कि वह बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। वो फोकस करें भी तो कैसे, जब सारी फोर्स सांप्रदायिक दंगे रोकने के लिये लगानी पड़ रही है और रही बात केंद्रीय सुरक्षाबलों की तो उसके लिये केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी होती है, वो अखिलेश के बस में नहीं है।