गिरीश कर्नाड ने टैगोर को गलत क्यों बताया?
वनइंडिया हिंदी के पत्रकार अश्वनी सत्यदेव ने फेसबुक पर लिखा है कि गिरीश कर्नाड जी को मैं बचपन से मालगुड़ी डेज जैसे धारावाहिकों देख रहा हूं। मैं उन्हें एक बेहतर और सम्मानजनक कलाकार मानता हूं, लेकिन रविंद्र जी के बारें में उनके यह विचार वाकई गलत हैं।
तो वो ही प्रोमिता दास ने लिखा है कि कर्नाड को पहले गुरूदेव के सारे प्ले पढ़ने चाहिए तब टिप्पणी करनी चाहिए यह गलत और शर्मनाक है।
जबकि कर्नाड की कड़ी आलोचना दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित सौमित्र चटर्जी ने की है। उनका कहना है कि कर्नाड को खुद बंग्ला आती है नहीं है ऐसे में वो गुरूदेव के नाटकों पर कैसे टिप्पणी कर सकते हैं उन्होंने जो भी कहा वो शर्मनाक है। उन्हे इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
तो वहीं इलेक्ट्रानिक चैनल में काम करने वाले नीतीश खन्ना ने लिखा है आखिर इतने समय बाद गिरीश कर्नाड ने टैगोर को गलत क्यों बताया आखिऱ इसके पीछे कारण क्या है?
गौरतलब है कि बैंगलोर में मशहूर लेखक और अभिनेता गिरीश कर्नाड ने कहा कि बेशक टैगोर बेहतरीन कवि थे लेकिन उनके नाटक दोयम दर्जे के थे इसलिए उनके समकालीन बंगाली थियेटर में उनके नाटक को ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं मिला। उनके नाटक ऊबाऊ होते हैं।
कर्नाड ने कहा टैगोर से अच्छे तो बादल सरकार, मोहन राकेश और विजय तेंडुलकर जैसे नाटककार हैं जिनका लिखा लोगों की समझ में तो आता है। कम से कम वो बिना मेहनत के तो प्रचार-प्रसार नहीं पाते।