शराब पिलायेगी, फिर डायलिसिस करायेगी दिल्ली सरकार
इसमें चार महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। शराब की आसानी से उपलब्धता के लिए दुकानें खोलने, ग्राम सभा के जोहड़ व तालाब को अतिक्रमण से बचाने के लिए मछली पालन की योजना, स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए चुनिंदा अस्पतालों में पीपीपी मॉडल पर डायलिसिस यूनिट लगाने और स्वतंत्रता सेनानी एवं उनके परिजनों के लिए नगदी रहित इलाज की सुविधा के फैसले पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।
राजधानी में शराब अब और नजदीक मिलेगी। मुंबई, कोलकाता, बंगलूरू, अहमदाबाद समेत देश के कई शहरों के मुकाबले आबादी के हिसाब से दिल्ली में शराब की दुकानों की संख्या कम है। इससे बॉर्डर से जुड़ने वाले इलाके के लोग दिल्ली के बाहर से शराब खरीदकर लाते हैं। इससे न सिर्फ सरकार के राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि लोगों को परेशानी भी होती है। अवैध तरीके से खरीदी जाने वाली शराब से स्वास्थ्य नुकसान का भी डर बना रहता है। इन तथ्यों का हवाला देकर कैबिनेट ने दिल्ली में शराब की और दुकानें खोलने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कहना है कि अन्य शहरों के मुकाबले यहां शराब की दुकानें बहुत कम हैं। आबादी के हिसाब से इन्हें खोलने का प्रस्ताव कैबिनेट में आया था। उसे देखते हुए विभाग को जगह तलाशने और नियम कानून के अनुरूप दुकानें बढ़ाने की अनुमति दी गई है। दिल्ली को शराब से सालाना 2000 करोड़ से अधिक का राजस्व मिल रहा है। इस वित्त वर्ष में 2300 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है जिसमें से अभी तक 1941.79 करोड़ रुपये का राजस्व मिल चुका है। पिछले वर्ष के मुकाबले 21 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है। विभाग की तरफ से कैबिनेट को बताया गया कि हैदराबाद में प्रति एक लाख आबादी पर 11 और मुंबई में 9 शराब की दुकानें हैं। जबकि दिल्ली में एक लाख की आबादी में सिर्फ 3 दुकानें हैं। स्वास्थ्य एवं शहरी विकास मंत्री डा. अशोक कुमार वालिया ने बताया कि कैबिनेट ने फैसला किया गया है कि डीडीए को अधिसूचित कामर्शियल स्ट्रीट में दुकान उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा जाएगा।
पिछले एक वर्ष में एक भी शराब की दुकान नहीं खुली है। सरकरी, निगमों की दुकानें, प्राइवेट, मॉल्स व डिपार्टमेंटल शॉप की दुकानें दिल्ली में 571 हैं। लेकिन दर्जन भर से अधिक विधानसभा ऐसी हैं जहां शराब की दुकानें कम हैं। सूत्र बताते हैं कि अनधिकृत कालोनियों का नेतृत्व करने वाली विधानसभा में दुकानें कम होने के कारण वहां अवैध शराब की बिक्री होने का हवाला कई विधायकों ने मुख्यमंत्री के समक्ष रखा था। उसी को ध्यान में रखकर कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव लाया गया था।
जलाशयों और तालाबों में जल्द ही मछलियां तैरती नजर आएंगी। कैबिनेट ने ग्रामीण इलाके के जलाशयों और तालाबों में मछली पालन शुरू करने का फैसला किया है, ताकि इन्हें सुरक्षित बनाए रखा जा सके। ग्रामसभा की भूमि पर स्थित जलाशयों पर मछली पालन को सरकार बढ़ावा देगी। उत्तर पश्चिमी जिले के 24 जलाशयों की नीलामी होगी जिसमें सिर्फ मछली पालन की छूट होगी। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बताया कि ग्रामसभा की भूमि पर स्थित जलाशयों पर हो रहे कब्जों को रोकने के लिए मछली पालन का फैसला लिया गया है। मई, 1957 की अधिसूचना के अनुसार गांवों में स्थित जलाशयों और जोहड़ ग्राम सभा की संपत्ति बन गए थे। वर्तमान में जनसंख्या के दबाव में इन जलाशयों पर अतिक्रमण हो रहे हैं। इससे प्राकृतिक स्रोतों और भूमिगत जलस्तर में कमी आई है। इनमें नालों और सीवर लाइन के गिरने से प्रदूषण बढ़ रहा है।
दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 के अनुसार मुर्गी पालन और मछली पालन को बढ़ावा देना ग्राम पंचायत के कार्य क्षेत्र में आता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी जलाशयों के उद्धार और रखरखाव के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। विकास विभाग के मछली पालन यूनिट ने उत्तर पश्चिम जिले में 24 जलाशयों की पहचान की है जहां मछली पालन गतिविधियां शुरू की जा सकती हैं। इन जलाशयों को हरियाणा से फ्रेश पानी मिल जाता है। जलाशयों की नीलामी स्वीकृत शर्तों पर की जाएगी। इन शर्तों में मौजूदा ढांचे में कोई परिवर्तन न करना, किसी अन्य व्यक्ति को न सौंपना, पर्यावरण के मौजूदा और विपरीत कोई गतिविधि नहीं करना शामिल है। नीलामी के लिए समितियों के प्रस्तावित गठन को मंजूरी दी गई है जो निर्धारित प्रक्रिया और नीलामी के कामकाज का निरीक्षण करेगी।