सरकारी लोकपाल बिल के साथ स्वामी अग्निवेश
गौरतलब है कि जिस लोकपाल बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिली थी उसमें ना तो अन्ना हजारे की मांग सीबीआई है और ना ही ग्रुप सी के कर्मचारी। हां कुछ शर्तों के साथ पीएम जरूर लोकपाल बिल के अंदर आ गये हैं। सरकार के इस नये लोकपाल में केस लड़ने के लिए एक टीम होगी और जांच करने के लिए भी एक टीम होगी। सरकार इस बिल को गुरूवार को संसद में पेश कर देगी।
ग्रुप सी के कर्मचारियों को लोकपाल से हटाकर सीवीसी के अंदर दाखिल किया गया है। लोकपाल आठ सदस्यों की एक संस्था होगी जिसमें आधे यानि कि चार सदस्य आरक्षण के माध्यम से चुने जाएंगे। दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिया जाएगा। लोकपाल के आधे सदस्य ज्यूडिशियल बैक ग्राउंड के होंगे और पांच सदस्यों की एक कमेटी लोकपाल को चुनेगी।
लोकपाल कमेटी पांच साल के लिए चुनी जाएगी। कमेटी के सदस्यों के चयन की खास प्रक्रिया होगी। चयन प्रक्रिया में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, नेता विपक्ष लोकसभा, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ ही एक सदस्य की नियुक्ति राष्ट्रपति के जरिए होगी। लोकपाल कमेटी के चेयमैन या मेंबर को तभी हटाया जा सकेगा जब 100 सांसद इसके लिए प्रस्ताव लाएंगे।
सरकार के इस लोकपाल बिल पर जहां टीम अन्ना ने निराशा जतायी है वहीं भाजपा भी इस के खिलाफ है। वहीं सीपीएम ने भी कहा कि यह लोकपाल बिल एकदम से बेकार है। उधर अन्ना हजारे ने भी तीन दिन के अनशन का ऐलान किया है और कहा है कि 30 दिसंबर से पूरे देश में जेलभरो आंदोलन होगा।