सलवा जुडूम अपने आप शुरू हुआ : सरकार (लीड-1)
सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एस. एस. निज्जर की खंडपीठ से कहा, "हमने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि सलवा जुडूम कार्यकर्ताओं को समर्थन नहीं दिया जाए।"
केंद्र सरकार ने यह बात न्यायालय में नंदिनी सुंदर की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में कहा गया है कि सलवा जुडूम कार्यकर्ता जनजातीय लोगों पर ज्यादतियां कर रहे हैं। याचिका में सलवा जुडूम कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की मांग की गई है।
सुंदर ने मांग की है कि प्रदेश के स्कूलों और आश्रमों से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को हटाया जाए।
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के जनजातीय इलाकों में नक्सलियों का सामना करने के लिए सलवा जुडूम की शुरुआत की थी और इसके कार्यकर्ताओं को हथियार दिए थे।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "इस समस्या (जनजातीय लोगों के पुनर्वास) का सामना मानवीय, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि जनजातीय लोगों में विश्वास बहाल करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं।
न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर किए गए उस हलफनामे के लिए प्रदेश सरकार की खिंचाई की है जिसमें उसने सलवा जुडूम के संबंध में संक्षिप्त जानकारियां दी हैं और सूचनाओं को छुपाया है।
न्यायालय ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में स्पष्ट तौर पर कहीं नहीं कहा कि वह सलवा जुडूम का समर्थन नहीं कर रही हैं और वह भविष्य में समर्थन जारी नहीं रखेगी।
न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि सलवा जुडूम कार्यकर्ताओं के खिलाफ किसी भी शिकायत का जिक्र नहीं किया गया है। यह नहीं बताया गया है कि उनके खिलाफ कितनी शिकायतें और क्या कदम उठाए गए हैं।
न्यायालय ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार वास्तविक स्थिति स्पष्ट करती तो यह बेहतर स्थिति होती।
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि जमीनी स्थिति काफी जटिल है और इसका रातों-रात कोई समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जनजातीय मामलों को लेकर बेहतर समझ वाले लोग मौजूद हैं और इसका समाधान प्राथमिकता में है।
उन्होंने कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए 10 प्रमुख योजनाएं शुरू की गई हैं।
इस बात पर न्यायालय ने कहा, "एक या दो दिन में कुछ नहीं होता, सही दिशा में प्रयास होने चाहिए। आपको अपनी समस्याएं जाननी चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।