मानसून सत्र में लगभग 50 घंटे की कार्यवाही का नुकसान
नई दिल्लीे, 31 अगस्त (आईएएनएस)। मानसून सत्र के समापन के साथ ही संसद के दोनों सदनों का मंगलवार को अनिश्चित काल के लिए अवसान हो गया। एक महीने से अधिक समय तक चले मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों को कई बार व्यवधान का सामना करना पड़ा, परिणामस्वरूप निर्धारित समय में से लगभग 50 घंटे जाया चला गया।
मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर, बाढ़ तथा जम्मू एवं कश्मीर में बिगड़ते हालात पर, सरकार को घेरने की कोशिश की, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।
पीआरएस लेजिसलैटिव रिसर्च के अनुसार लोकसभा में लगभग 25 घंटे का नुकसान हुआ। निर्धारित 19 बैठकों में प्रश्न काल के लिए केवल छह घंटा 41 मिनट ही मिल पाया। यद्यपि सत्र में 19 घंटे प्रश्नों के लिए निर्धारित थे और प्रत्येक दिन का पहला घंटा, प्रश्न काल था।
राज्यसभा में स्थगनों के कारण 22 घंटे का नुकसान हुआ और वहां प्रश्नों पर लोकसभा से अधिक समय खर्च हुआ। राज्यसभा में प्रश्नकाल के लिए निर्धारित 19 घंटों में 10 घंटे 36 मिनट प्रश्नों के लिए समर्पित रहा।
मानसून सत्र में विभिन्न मुद्दों पर गरमागरम बहसों के दौरान लोकसभा और राज्यसभा के 100 से अधिक सांसद नहीं बोल पाए।
पीआरएस लेजिसलैटिव रिसर्च के अनुसार निचले सदन के 68 सांसद और ऊपरी सदन से 35 सांसदों ने किसी भी बहस में हिस्सा नहीं लिया। दोनों सदनों में मंत्रियों व सभापतियों सहित सदस्यों की कुल संख्या 795 है।
लोकसभा के 41 सांसदों और राज्यसभा के 25 सांसदों की उपस्थिति 50 प्रतिशत रही।
निचले सदन में 195 सांसदों की तथा ऊपरी सदन में 98 सांसदों की उपस्थिति 90 प्रतिशत से अधिक रही।
पीआरएस के अनुसार लोकसभा में नियोजित 140 घंटों में से केवल 116 घंटे ही फलदायी रहे और राज्यसभा में 115 नियोजित घंटों में से 104 घंटे ही फलदायी रहे।
पीआरएस ने यह भी कहा है कि 35 विधेयकों को पारित कराने के लिए उन्हें पेश करने की सरकार की योजना थी, लेकिन केवल 19 विधेयकों को ही संसद की मंजूरी मिल पाई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।