जाति आधारित जनगणना को कैबिनेट की मंजूरी जल्द : प्रणब
मुखर्जी ने जनगणना में जाति को शामिल किए जाने के बारे में लोकसभा में कहा, "सरकार ने कमोबेश इसके पक्ष में निर्णय लिया है।"
मुखर्जी ने कहा कि सभी पार्टियां इसके पक्ष में हैं और इस मुद्दे पर किसी चिंता की कोई गुंजाइश नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल (युनाइटेड), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया और जानना चाहा कि सरकार जाति आधारित जनगणना के अपने वादे पर क्या कर रही है। इसके बाद लोकसभा के नेता के रूप में मुखर्जी ने अपना बयान दिया।
मुखर्जी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना के परीक्षण के लिए गठित मंत्रियों के समूह ने निर्णय लिया है कि घरों की गिनती के दौरान जाति आधारित जनगणना की जाएगी।
मुखर्जी ने कहा कि मंत्रियों का समूह इस मुद्दे पर खुद से निर्णय लेने के लिए अधिकृत नहीं है, लेकिन इसके निर्णय को कैबिनेट की अगली बैठक में मंजूरी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा, "अब यह एक औपचारिकता का मामला भर रह गया है।"
जद (यू) के अध्यक्ष शरद यादव ने मानसून सत्र के अंतिम दिन इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने राजनीतिक पार्टियों से इस पर विचार आमंत्रित किया था और इसका कुछ भी नहीं हुआ।
यादव ने कहा कि यह स्थिति तब है, जब वित्त मंत्री ने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के साथ तीन बैठकें की थी। उन्होंने कहा, "देश में इस मुद्दे को लेकर बेचैनी है और सरकार को हमें बताना चाहिए कि वह इस पर क्या कर रही है।"
सपा नेता मुलायम सिंह यादव, भाजपा के गोपीनाथ मुंडे और बसपा के दारा सिंह चौहान ने शरद यादव का समर्थन किया।
मुलायम ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री ने राजनीतिक पार्टियों से वादा किया था कि जाति आधारित जनगणना की जाएगी।
उन्होंने कहा, "अब इस देरी का क्या कारण है? हमें क्या करना चाहिए? हमें कहां जाना चाहिए? हम चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही चले, लेकिन इस बारे में सरकार को भी सोचना चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।