उप्र किसान आंदोलन : मुआवजा बढ़ाने के बावजूद असंतोष कायम (लीड-1)
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और मुख्यमंत्री मायावती के विशेष दूत के तौर पर अलीगढ़ भेजे गए शशांक शेखर सिंह ने अपर्याप्त मुआवजे के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस गोलीबारी के बाद बातचीत के माध्यम से मसले को सुलझाने का दावा किया। पहले प्रस्तावित 449 रुपये प्रति वर्गमीटर के मुआवजे के स्थान पर अब किसानों को 570 रुपये प्रति वर्गमीटर का मुआवजा दिया जाएगा।
सिंह ने रात 1.30 बजे अधिग्रहीत कृषि भूमि पर अधिक मुआवजे की किसानों के प्रतिनिधियों की मांग पर एक समझौता किया। उन्होंने पिछले दो दिनों से हिरासत में रखे गए किसान नेता राम बाबू कथीरिया को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।
कथीरिया ने चर्चा में हिस्सा लिया और प्रति वर्गमीटर मुआवजे की रकम में 120 रुपये की वृद्धि पर सहमति जताई। इससे पहले किसानों ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मिले 850 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा दिए जाने की मांग की थी।
उधर आगरा के एत्मादपुर गांव के निवासियों ने मंगलवार सुबह यमुना एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन का अधिक मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर पुलिस चौकियों पर हमला किया। उग्र ग्रामीणों की भीड़ में भारी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
उग्र भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज करने के साथ ही रबर की गोलियां चलाईं। इसमें कई ग्रामीण घायल हुए हैं।
पुलिस क्षेत्राधिकारी महेंद्र सिंह गंभीर रूप से घायल हुए हैं जबकि तहसीलदार प्रदीप सिंह के सिर में चोट लगी है। उनको बाद में एक समीप के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
भीड़ के हटने से इंकार करने के बाद पुलिस ने भी पत्थर फेंके। जिले के वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। गेट्रर नोएडा और आगरा के बीच बन रहा नया एक्सप्रेस वे 156 किलोमीटर लंबा है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि मंत्रियों का एक समूह जल्द ही भूमि अधिग्रहण संबंधी नीति में बदलावों के बारे में सुझाव देगा ताकि किसानों के हितों की रक्षा हो सके।
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि प्रस्तावित मंत्री समूह की अध्यक्षता कृषि मंत्री शरद पवार करेंगे। यह समूह वर्ष 1984 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधनों का भी सुझाव देगा।
सदन के नेता मुखर्जी ने कहा, "सरकार की ओर से यह कदम उठाया जाएगा ताकि किसानों का हित खतरे में न पड़े।"
मुखर्जी अलीगढ़ और मथुरा में किसान आंदोलन के संदर्भ में हुई 55 मिनटों की बहस का जवाब दे रहे थे। इस बारे में उन्होंने कहा, "हमें इस घटना (गोलीबारी) के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार से तथ्य हासिल करने होंगे।"
अलीगढ़ में शनिवार देर रात किसानों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में एक पुलिसकर्मी सहित दो लोगों की मौत हो गई थी और 10 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
किसानों ने अपने नेताओं की रिहाई और मुआवजा बढ़ाए जाने के ऐलान के बावजूद आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। किसानों ने कहा है कि मुआवजे के संदर्भ में राज्य सरकार का फैसला एकतरफा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार देर रात मारे गए किसानों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये और घायल किसानों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया।
कथीरिया के भाई श्याम बाबू ने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि उनके भाई के साथ पुलिस ने मारपीट की है। उन्होंने कहा कि मुआवजे के संदर्भ में सरकार का फैसला एकतरफा है और ऐसे में आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलनकारी किसानों के मसले पर लोकसभा में मंगलवार को संक्षिप्त चर्चा हुई। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की तो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राज्य सरकार का पुरजोर बचाव किया।
इस मसले परे सोमवार को हुए हंगामे के मद्देनजर लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने मंगलवार को सदस्यों को अपनी राय रखने की इजाजत दी। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मुलायम सिंह यदव ने कहा, "किसानों की हत्याएं की गईं। यह बहुत ही गंभीर मामला है। पता चला है कि इस मामले में अब तक आधिकारिक तौर पर रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई है। मेरा सवाल यही है कि आखिर रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज की गई?"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने कहा, "किसानों की जमीन जबरन अधिग्रहित की जा रही है। मैं मांग करता हूं कि भूमि अधिग्रहण से जुड़े विधेयक को सदन में जल्द पेश किया जाए। किसानों की जमीन का अधिग्रहण उनकी मर्जी के बिना नहीं किया जा सकता।"
जनता दल (युनाइटेड) के शरद यादव ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है कि जिस दिन पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था उसी दिन अलीगढ़ और मथुरा के किसानों पर गोलियां बरसाईं जा रही थीं। उन्होंने कहा कि किसानों को हर हाल में उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी ने कहा कि किसानों पर गोलियां चलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मसले पर राष्ट्रीय सहमति बननी चाहिए ताकि बार-बार इस तरह की स्थिति न पैदा हो।
विपक्षी दलों के हमले के बीच बसपा के नेता दारा सिंह चौहान ने इस पूरे मामले पर मायावती सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा, "इस घटना में मारे गए किसानों के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। मैं कहना चाहता हूं कि किसानों और सरकार के बीच समझौता हो गया है। गोलीबारी की घटना में सभी कानूनी कार्रवाई पूरी की गई है। इस मामले में रिपोर्ट भी दर्ज की गई है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।