लेह त्रासदी : मृतकों की संख्या 167 हुई, 5 विदेशी भी शामिल (लीड-2)
इस भारी तबाही के बीच भारतीय सेना के जवान राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं। सोमवार तक 81 विदेशी सैलानियों को लद्दाख क्षेत्र के जांस्कर घाटी से सुरक्षित निकाला गया था।
सेना के एक अधिकारी ने बताया, "यह एक ऐसी त्रासदी है जिसमें 5-6 अगस्त से ही सेना के जवान राहत एवं बचाव कार्य में जटे हुए हैं। लेह में आई बाढ़ से काफी तबाही हुई है, जिसमें कई गांव बह गए हैं।"
सेना के उत्तरी कमांड के प्रवक्ता लेफ्टीनेंट कर्नल जे.एस. बरार ने एक बयान जारी कर बताया कि कुछ जवानों को लद्दाख क्षेत्र में चल रहे राहत अभियान में लगाया गया है। विभिन्न जगहों पर फंसे विदेशी सैलानियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और उन्हें स्वास्थ्य, भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
उन्होंने कहा, "सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से लद्दाख के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे लोगों को लेह स्थित सेना के अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया जा रहा है।"
बरार ने बताया कि लेह जिले के लामायुरू में विभिन्न देशों के 151 सैलानियों को जरुरत के मुताबिक सहायता पहुंचाई जा रही है।
पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर) फारूक अहमद ने इससे पहले आईएएनएस को बताया, "अब तक 167 शव बरामद किए गए हैं। इनमें से 140 की पहचान हो गई है। लेह शहर और इससे सटे 12 गांवों में राहत व बचाव कार्य जारी है।"
उन्होंने कहा कि लगभग 400 घायलों का लेह के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है और लगभग 200 लोग अभी भी लापता हैं। एयर इंडिया मंगलवार को भी फंसे लोगों को निकालने के लिए चार विमान सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
इस बीच भारतीय सेना ने अपने पाकिस्तान से हादसे के दौरान गुम हुए 28 सैनिको को खोजने में मदद करने का आग्रह किया है। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि सैनिक पानी के साथ बह कर नियंत्रण रेखा (एलओसी) के उस पार चले गए हैं।
लेह, श्रीनगर से 434 किलोमीटर दूर है जबकि हिमाचल प्रदेश के मनाली से 474 किलोमीटर दूर है। दोनों जगहों से अलग-अलग राजमार्गो से लेह जुड़ा हुआ है।
लेह में स्थित भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) कार्यालय, एक सरकारी पालिटेनिक और आइटीबीपी का शिविर, कंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तथा कुछ सरकारी कार्यालय भी बादल फटने के बाद हुई तबाही में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।