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पाकिस्तान में आतंकी संगठनों से निपटना जरूरी : ओबामा

By Staff
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वाशिंगटन, 28 मई (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि पाकिस्तान को कट्टरपंथियों से निपटने में सक्षम बनाने के लिए अमेरिका गंभीर प्रयास कर रहा है। अल कायदा को नष्ट करना अमेरिका द्वारा घोषित की गई नई रक्षा नीति का प्रमुख लक्ष्य बनाया गया है।

व्हाइट हाउस में एक पत्रकार वार्ता के दौरान ओबामा ने कहा कि तालिबानी शासन द्वारा अलकायदा को शरण दिए जाने के कारण ही अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था। 11 सितंबर 2001 को अल कायदा द्वारा किए गए हमले में अमेरिका के 3,000 नागरिक मारे गए थे।

ओबामा ने कहा, "अल कायदा अभी भी हमारी पकड़ में नहीं आया है और उसने अपना नया ठिकाना पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर बना लिया है।"

अल कायदा के मददगार लोग उसे पनाह दे रहे हैं और उनकी मदद से अल कायदा अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अपनी अलग आतंकी गतिविधियां चला रहा है, उनके हमले पश्चिमी देशों और खासकर हमारे मित्र देशों पर बढ़ते जा रहे हैं।

ओबामा ने कहा, "यह जरूरी है कि जो लोग हम पर हमले की इच्छा रखते हैं उन्हें हम नष्ट कर दें। वे हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा हैं।"

उन्होंने कहा, "हम पाकिस्तान के साथ काम कर रहे हैं और पाकिस्तान की सीमाओं में कट्टरपंथियों से लड़ाई में उसकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन हम काम की शुरुआत कर चुके हैं।"

पत्रकारों से बातचीत करते हुए ओबामा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल जेम्स एल. जोन्स ने उन खबरों का खण्डन किया जिनमें कहा गया था कि हाल ही में की गई पाकिस्तान यात्रा के दौरान उन्हें आतंकियों के खिलाफ अभियान को आगे बढ़ाने से रोकने के लिए धमकी दी गई थी।

उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत-पाकिस्तान और अफगानिस्तान के क्षेत्र में एक दीर्घकालीन रणनीति के तहत काम कर रहा है जिसके जरिए वह यहां सभी तरह के आतंकवाद को खत्म करके इस क्षेत्र के लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना चाहता है।

अमेरिका की नई रक्षा नीति में कहा गया है कि पाकिस्तान ने पिछले सालों में अपनी सीमा के भीतर कट्टरपंथियों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाइयां की हैं।

नीतिगत दस्तावेज में कहा गया है कि अमेरिका पाकिस्तान नागरिकों की मदद के लिए अगले पांच साल तक प्रतिवर्ष 1.5 अरब डॉलर की मदद देगा।

इसके अलावा अमेरिका पाकिस्तान की सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए हर तरह की जरूरी मदद दे रहा है। वर्ष 2010 में पाकिस्तान को सैन्य उपयोग के लिए 23 करोड़ डॉलर की वित्तीय मदद दी जाएंगी। इससे पहले 2009 में अमेरिका ने पाकिस्तान को कट्टरपंथियों से निपटने के लिए 1.1 अरब डॉलर की सैनिक सहायता दी थी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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