राठौड़ को 6 महीने की सजा देना 'चूक' थी: न्यायधीश
चण्डीगढ़, 26 मई (आईएएनएस)। बहुचर्चित रुचिका गिरहोत्रा मामले में दोषी और हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस. पी. एस. राठौड़ को 18 महीने की सजा सुनाने वाले न्यायधीश का कहना है कि पिछले साल दिसम्बर में राठौड़ को महज छह महीने की सजा देना अदालत की 'चूक' थी।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश गुरबीर सिंह ने मंगलवार को राठौड़ की सजा छह महीने से बढ़ाकर 18 महीने कर दी। इस फैसले के बाद राठौड़ को हिरासत में ले लिया गया।
न्यायधीश ने अपने 103 पृष्ठों के निर्णय में कहा है, "जिस मामले में दोषी को अधिकतम सजा होनी चाहिए थी, उसमें निचली अदालत ने सिर्फ छह महीने की सजा सुनाकर चूक की थी। अदालत को सुनवाई के दौरान अपराध के स्तर को देखना चाहिए। "
अपने फैसले में सिंह ने कहा, "भारतीय दंड सहिंता की धारा 354 के तहत दोषी अधिकतम सजा का हकदार है लेकिन उसके स्वास्थ्य की पृष्ठिभूमि, उम्र, अदालतों की 200 तारीखों में उसकी हाजिरी, अविवाहित और बीमार बेटी की जिम्मेदारी और पुलिस सेवा के रिकार्ड को देखते हुए उसे डेढ़ साल की सजा सुनाई गई है।"
अदालत के इस फैसले पर रुचिका के परिजनों और दोस्तों ने खुशी जताई। हरियाणा के पंचकुला में रहने वाली 15 वर्षीय रुचिका के साथ अगस्त, 1990 में राठौड़ ने छेड़छाड़ की थी। इस घटना के तीन साल बाद रुचिका ने आत्महत्या कर ली थी। बीते कई वर्षो से रुचिका के परिजन न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में राठौड़ को रुचिका के साथ छेड़छाड़ के मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने दिसंबर, 2009 में राठौड़ को छह महीने के कारावास की सजा सुनाई थी और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। सजा सुनाए जाने के बाद हालांकि उसे जल्द ही जमानत मिल गई थी।
राठौड़ ने गत जनवरी में खुद को दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ अदालत में चुनौती दी थी। सीबीआई ने राठौड़ की अपील का विरोध करते हुए उसकी सजा बढ़ाए जाने संबंधी याचिका दायर की। सीबीआई ने उसकी सजा को छह महीने से बढ़ाकर दो वर्ष करने का अनुरोध किया। इसके बाद अदालत का यह फैसला आया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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