विशेष जीन के सहारे पहाड़ों पर सहज रहते हैं तिब्बती
दरअसल, एक नए अध्ययन से पता चला है कि उनमें ऑक्सीजन से जुड़े 10 अनोखे जीन होते हैं जिससे तिब्बती पहाड़ों पर सालों तक आसानी से रह लेते हैं।
उताह विश्वविद्यालय के 'स्कूल ऑफ मेडिसीन' के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि हजारों साल पहले से तिब्बती सर्द मौसम और ऊंचाई वाले स्थानों पर रहने के लिए आनुवांशिक रूप से अनुकूल हैं।
विशेष जीन के कारण उन्हें ऑक्सीजन को लेकर समस्या, फेफड़े में सूजन, मस्तिष्क और सांस लेने में कोई परेशानी नहीं होती है।
समुद्र तल से 14,000 फुट की ऊंचाई पर जहां समतल की तुलना में ऑक्सीजन कम होता है, इसके बावजूद तिब्बतियों में लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण ज्यादा नहीं होता है।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि उनमें कम से कम 10 जीन हो सकते हैं। इनमें दो तो हीमोग्लोबिन से जुड़े होते हैं, जो रक्त को ऑक्सीजन पहुंचाते हैं।
ऊंचाई वाले पहाड़ों पर फेफड़े और मस्तिष्क में समस्याएं आने का डर बना रहता है और कभी-कभी तो पर्वतारोहियों की मौत भी हो जाती है।
उताह विश्वविद्यालय के मानव आनुवांशिकी के प्रोफेसर लीन बी. जॉर्ड ने कहा कि तिब्बतियों में इस तरह के जीन का विकास पहाड़ों पर रहने की वजह से हुआ है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।