किसानों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने किया बीटी बैंगन पर रोक का स्वागत
पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं का संगठन ग्रीनपीस ने जयराम रमेश के इस निर्णय को एक अच्छा कदम करार दिया है। ग्रीनपीस पिछले वर्ष से बीटी बैंगन के विरोध में देशव्यापी अभियान चला रखा है।
ग्रीनपीस के कार्यकर्ता जय कृष्णा ने कहा, "देश में टिकाऊ कृषि और खाद्य सुरक्षा का रास्ता तैयार करने की दिशा में यह रोक एक अच्छा कदम है। भारतीय कृषि को प्रदूषित करने वाले बीटी बैंगन को अनुमति न देने के पर्यावरण मंत्री के निर्णय का हम स्वागत करते हैं।"
जय कृष्णा ने कहा है, "रमेश को राष्ट्र को विश्वास दिलाना चाहिए कि इस रोक के बाद बीटी बैंगन की या 41 अन्य जीन परिवर्धित फसलों की पिछले दरवाजे से अनुमति नहीं दी जाएगी। ये फसलें देश में परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं। जीन परिवर्धित बीजों को विकसित करने वालों को दुर्घटनावश या अनधिकृत तरीके से ऐसी बीजों के व्यवहार में आने पर जिम्मेदार ठहराए जाने का एक सख्त संदेश दिया जाना चाहिए।"
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की निदेशक सुनीता नारायण ने कहा, "हम पहली बार एक ऐसी फसल के जीन परिवर्धित बीज की बात कर रहे हैं, जो हमारे अधिकांश घरों में लगभग प्रतिदिन इस्तेमाल किया जाने वाला खाद्य पदार्थ है। बैंगन का हमारे भोजन में सीधा इस्तेमाल किया जाता है देश के कई हिस्सों में इसे कच्चा भी खाया जाता है। इसलिए हमें इस खाद्य पदार्थ की समीक्षा करने में अति सावधानी बरतने की आवश्यकता है।"
जीएम फ्री इंडिया अभियान और खेती विरासत मिशन (पंजाब) की कविता कुरुगंथी ने कहा, "जयराम रमेश ने बहुत ही समझदारी के साथ काम किया है और यह रोक बहुत ही सकारात्मक घटना है। लेकिन जो उन्होंने किया है, उस काम को नियामक प्राधिकरण (जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी) को करना चाहिए था। इससे यह साबित होता है कि हमारे देश के संपूर्ण नियामक व्यवस्था में कितने बदलाव की जरूरत है।"
कोलकाता के वैज्ञानिक और रिसर्च कम्युनिकेशन एंड सर्विसिस सेंटर के सचिव अंशुमान दास ने कहा, "इस निर्णय से निश्चित रूप से देश भर के वैज्ञानिकों को, सामाजिक कार्यकर्ताओं को और किसानों को राहत मिली है। लेकिन इसने इस चिंता को भी जन्म दिया है कि सरकार बाद में इसे गुप्त रूप से अनुमति दे देगी।"
बैंगन उत्पादक राज्यों, उड़ीसा और कर्नाटक के किसानों ने भी सरकार के इस निर्णय पर खुशी जाहिर की है।
पश्चिम उड़ीसा कृषिजीवी संघ के अध्यक्ष जगदीश प्रधान ने कहा, "केंद्र सरकार का यह समझदारी भरा निर्णय है।"
कर्नाटक रायथा संघ के अध्यक्ष कोदीहल्ली चंद्रशेखर ने कहा, "यह निर्णय किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में है। हम उम्मीद करते हैं कि जयराम और उनकी सरकार इस निर्णय पर अडिग बने रहेंगे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।