नक्सली हिंसा छोड़ें तो वार्ता संभव : चिदंबरम (लीड-2)
नक्सल प्रभावित राज्यों बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की सरकारों के साथ नक्सल समस्या पर हुई दो घंटे की माथापच्ची के बाद संवाददाताओं से बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ चलाया जा रहे अभियान में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
चिदंबरम ने कहा, "मेरी नक्सलवादियों से अपील है कि यदि वे हिंसा की गतिविधियों को छोड़ने को तैयार होते हैं तो सरकार उनके साथ वार्ता के लिए तैयार है। मैं आपसे और कोई अपील नहीं कर रहा हूं। हम उन सभी मुद्दों पर वार्ता को तैयार हैं जो आप चाहेंगे।"
चिदम्बरम ने कहा कि नक्सलियों द्वारा पूर्व में ऐसी अपीलों को ठुकराने के कारण सरकार नक्सल प्रभावित राज्यों में अभियान जारी रखने को बाध्य हुई।
उन्होंने कहा, "पूर्व में ऐसे प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद से सरकार नक्सल विरोधी अभियान को जारी रखने के लिए विवश हुई। जब तक नक्सली हिंसा में लिप्त रहेंगे, ये अभियान जारी रहेंगे।"
गृह मंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नागरिक प्रशासन बहाल होने तक यह अभियान जारी रहेगा। उन्होंने भरोसा जताया कि अगले छह महीनों में यह अभियान और प्रगति करेगा।
नक्सली खतरे पर चर्चा के लिए कोलकाता में हुई बैठक में पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के मुख्यमंत्री, झारखण्ड के दोनों उपमुख्यमंत्री और इन राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
चिदम्बरम ने कहा कि इन सभी राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान धीमी गति से लेकिन लगातार जारी है और प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी के कई महत्वपूर्ण नेताओं की गिरफ्तारी इसका प्रमाण है।
उन्होंने कहा, "यह मीडिया और स्वयंसेवी संस्थाओं के एक वर्ग के कुछ महीने पहले किए गए प्रचार के विपरीत भी है कि इन अभियानों में भारी नरसंहार होगा। हमने स्पष्ट कर दिया है कि इन अभियानों का उद्देश्य किसी की जान लेना नहीं है।"
चिदंबरम ने कहा, "वे हमारे लोग हैं, हमें उनके जीवन की चिंता है। इसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित इलाकों में नागरिक प्रशासन को फिर से स्थापित करना है। मेरे विचार में प्रगति धीमे लेकिन लगातार हो रही है।"
उन्होंने कहा कि ऐसे अभियानों की प्रगति को क्रिकेट मैच के स्कोर बोर्ड की तरह नहीं देखा जा सकता।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।