सीमा आजाद को नक्सली बताकर फंसाया जा रहा है : पीयूसीएल
पीयूसीएल के उपाध्यक्ष रामकुमार ने लखनऊ में मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "सीमा सामाजिक और विकास के मुद्दों पर आधारित दस्तक नाम की एक पत्रिका की संपादक हैं, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों खासकर सोनभद्र में पत्थर खनन ठेकेदारों और पुलिस की मिलीभगत और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी थी। इसी मुहिम के कारण सीमा को गलत तरीके से नक्सली के रूप में प्रचारित कर फंसाया जा रहा है। उनकी गिरफ्तारी विचारों की आजादी का हनन है।"
रामकुमार ने कहा कि सीमा पीयूसीएल की सदस्य हैं और वह विगत कई वर्षों से मजदूरों के हनन के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं।
गत शनिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्रवाई दस्ते (एसटीएफ) ने सीमा को उनके पति विश्वविजय के साथ इलाहाबाद से गिरफ्तार कर उनके पास से प्रतिबंधित नक्सली साहित्य की बरामदगी दिखाई थी।
पीयूसीएल पदाधिकारियों ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि सीमा के पास से बरामद साहित्य प्रतिबंधित नहीं था। पदाधिकारियों ने कहा कि पुलिस जिस बरामद नक्सली साहित्य को प्रतिबंधित बता रही है उसका प्रयोग सीमा अपनी पत्रिका के लेखों में संदर्भ सामग्री के रूप में कर रही थी।
पीयूसीएल व अन्य जनसंगठन सीमा की गिरफ्तारी को मानवाधिकारों का हनन करार देते हुए 13 फरवरी को लखनऊ में धरना देंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।