प्रभाकरन की हवेली पर कब्जा : श्रीलंकाई सेना (लीड-1)
श्रीलंकाई सेना की ओर से कहा गया, "दो एकड़ भूखंड में स्थित इस दो मंजिले आलीशान आवासीय इमारत के बारे में पूरा यकीन है कि इसे प्रभाकरन द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस हवेली पर 58वीं टुकड़ी के सैनिकों ने रविवार की शाम पूरी तरह कब्जा कर लिया।"
सेना की ओर से कहा गया है कि दो मंजिल की पूरी तरह सुसज्जित आवासीय हवेली में चार अलग वातानुकूलित बड़े-बड़े कमरे हैं। इमारत के बाहर एक फायरिंग रेंज भी है। सैनिकों का मानना है कि इसका उपयोग प्रभाकरन द्वारा या उसके शीर्ष नेताओं द्वारा किया जाता रहा होगा।
सेना ने बताया है कि पूरी हवेली में सुपर साउंड जनरेटरों के जरिए विद्युति आपूर्ति की व्यवस्था है। हवेली की फर्श पर सिरेमिक्स पत्थर जड़े हुए हैं।
सेना की ओर से बताया गया है कि हवेली से 'मार्क्स एंड स्पेंसर' कंपनी का 42-1/2 साइज का एक शर्ट बरामद किया गया है। माना जा रहा है कि यह प्रभाकरन का शर्ट होगा। इसके अलावा हवेली से ऑक्सीजन के कई टैंक भी बरामद किए गए हैं। लेकिन प्रभाकरन का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
उधर अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास समिति (आईसीआरसी) ने सोमवार को कहा कि मुल्लइतिवु क्षेत्र के एक अस्पताल पर रविवार को हुई बमबारी में कम से कम नौ लोग मारे गए और 20 घायल हो गए।
आईसीआरसी की प्रवक्ता सारासी विजयरत्ने ने बताया कि मुल्लइतिवु के पुथुक्कु डियरुप्पू अस्पताल पर रविवार को तीन बार बमबारी की गई। मुल्लइतिवु के कुछ हिस्से अभी भी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के कब्जे में हैं।
विजयरत्ने ने बताया, "बमबारी में नौ लोग मारे गए और 20 घायल हैं। बमबारी में रसोईघर, गिरजाघर और बच्चों के वार्ड को निशाना बनाया गया।"
प्रवक्ता ने बताया कि आईसीआरसी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं हैं कि बमबारी कहां से की गई। क्योंकि क्षेत्र में श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच जबरदस्त संघर्ष जारी है।
उन्होंने दोनों पक्षों से अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का सम्मान करने और मरीजों को वहां से सुरक्षित ढंग से हटाया जाना सुनिश्चित करने की मांग की।
आईसीआरसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अस्पताल में इस समय 500 से ज्यादा मरीज हैं। जिनमें से कुछ बेहतर इलाज के लिए सरकारी नियंत्रण वाले अस्तपालों में भेजे जाने का इंतजार कर रहे हैं।
आईसीआरसी के कोलंबो प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख पॉल कैस्टेला की ओर से जारी बयान में कहा गया, "अस्पताल को निशाना बनाए जाने से हम स्तब्ध हैं..घायल और बीमार लोगों, चिकित्सा कर्मियों और चिकित्सा सुविधाएं मानवता संबंधी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत संरक्षित हैं। किसी भी हालत में उन्हें सीधे निशाना नहीं बनाया जा सकता।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।