बांग्लादेश के राजनीतिक हल्कों में उर्दू की वापसी
पिछले महीने संपन्न हुए देश के नौवें आम चुनाव में गैर बंगाली मतदाताओं को लुभाने के लिए बांग्लादेश की आजादी (1971) के बाद पहली बार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने उर्दू में पोस्टर व पर्चे प्रकाशित किए।
नीलफामारी से प्रकाशित एक रिपोर्ट में समाचार पत्र द डेली स्टार ने कहा है कि सादीपुर उपजिला में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के प्रत्याशियों ने प्रचार के दौरान उर्दू भाषा का इस्तेमाल किया। इस उपजिला में आधे मतदाता उर्दू भाषी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "सादीपुर कस्बे से गुजरते समय लाउडस्पीकर पर उर्दू में घोषणाएं सुनी जा सकती हैं।"
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "जुलूसों में नारे लगाने तथा सार्वजनिक सभाओं के दौरान भाषण में भी प्रत्याशी उर्दू भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये प्रत्याशी अच्छी तरह जानते हैं कि उर्दू भाषी लोग सादीपुर उपजिला परिषद चुनाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।"
ये उर्दू भाषी लोग या तो बिछुड़े पाकिस्तानी हैं या 1947 में विभाजन के दौरान भारतीय प्रांत बिहार से आए हुए हैं।
तीन दशकों तक पाकिस्तान भेजे जाने का इंतजार करने के बाद उन्होंने अब बांग्लादेशी नागरिकता स्वीकार कर ली है।
लेकिन मजेदार बात यह है कि देश के पिछले संसदीय चुनाव में कुल 1,550 प्रत्याशियों में से एक भी प्रत्याशी उर्दू भाषी नहीं था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।