पिछले 8 वर्षो से अध्यक्ष विहीन है एनईएए
नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)। पर्यावरण संबंधी जनहित याचिकाओं के न्यायालयों पर बढ़ रहे बोझ को कम करने के लिए वर्ष 1997 में गठित 'राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण' (एनईएए) पिछले आठ वर्षो से अध्यक्ष विहीन है।
इस न्यायाधिकरण की न कोई वेबसाइट है और न पता, जहां कोई व्यक्ति पर्यावरण संबंधी समस्याओं के लिए संपर्क कर सके।
दिल्ली उच्च न्यायालय के कई निर्देर्शो के बावजूद केंद्र सरकार वर्ष 2000 से लेकर आज तक एनईएए के अध्यक्ष के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश की तलाश नहीं कर पाई है।
मुख्य न्यायाधीश अजित प्रकाश शाह और न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर की अध्यक्षता वाली पीठ ने गत दिसम्बर में सरकारी वकील से पूछा था, "आपको आठ वर्षो में एक न्यायाधीश नहीं मिला? आखिर सर्वोच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की जगह किसे नियुक्त किया जा सकता है?"
वर्ष 2005 में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से इस संस्था के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों के नियुक्ति संबंधी प्रस्तावों को निपटाने के साथ ही 45 दिनों के भीतर न्यायाधिकरण के पुनर्गठन का निर्देश दिया था लेकिन नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात रहा।
पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि पर्यावरण मंत्रालय को दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों तथा सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के फोन नंबर ही नहीं उपलब्ध हो पाए, जिस पर उनसे संपर्क किया जा सके।
वहीं दिसम्बर में अतिरिक्त महान्यायाधिवक्ता (एएसजी) पी.पी. मल्होत्रा ने अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी न्यायाधीश इस जिम्मेदारी को स्वीकारने को तैयार नहीं हुआ लेकिन खंडपीठ ने कहा, "यदि आप इस मामले के प्रति संजीदा होते तो कानून में संशोधन कर सकते थे।"
पीठ ने यह भी कहा कि इस पद के लिए सरकार की ओर से तय सुविधाएं न्यायालय के अधिकारियों के स्तर के अनुकूल नहीं हैं।
न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, "हम कानून के मुताबिक इस पद के लिए वेतन व सुविधाओं का निर्धारण करेंगे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।