बनावटी मुस्कान की हो जाएगी पहचान
मनोवैज्ञानिक माइकल जे. बर्नस्टीएन और मियामी विश्वद्यालय के उनके सहयोगियों ने चेहरे पर अभिव्यक्ति की प्रमाणिकता को लेकर अध्ययन किया। शोधकर्ताओं के अनुसार कई लोग बनावटी मुस्कान को तुरंत समझ लेते हैं।
शोधकर्ताओं ने मुस्कान और अन्य अभिव्यक्तियों की प्रमाणिकता को समझने के लिए कुछ लोगों पर अध्ययन किया। विभिन्न मनोदशाओं में चेहरे के हावभाव में होने वाले परिवर्तनों को इसमें शामिल किया गया और उनका वीडियो भी तैयार किया गया।
अध्ययन में शामिल लोगों को बाद में मुस्कुराते चेहरों का वीडियो दिखाया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन में शामिल लोगों ने बनावटी मुस्कान की आसानी से पहचान कर ली।
'साइकोलॉजिकल साइंस' पत्रिका के अक्टूबर के अंक में इस अध्ययन के संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।
इंडो-एशिनय न्यूज सर्विस।
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