राष्ट्रीय. बिस्मिल बलिदान तीन अंतिम गोरखपुर
पं. रामप्रसाद बिस्मिल को इसका अगुआ बनाया गया और नौ अगस्त को इन क्रान्तिकारियों ने सरकारी खजाने को लूटा1 इसके बाद अंग्रेज इन लोंगो के पीछे पड गए 1अंग्रेजों ने बिस्मिल की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिये और उन्हें 26 सितम्बर 1925 को गिरफ्तार कर गोरखपुर जेल में रखा गया1 काकोरी ट्रेन डकैती का मुकदमा डेढ वर्ष चला और 6 अप्रैल 1927 को इन क्रान्तिकारियों को फांसी की सजा सुना दी गयी
बिस्मिल ने गोरखपुर जेल में डेढ वर्ष गुजारे और वहां से अपनी मांको पत्र लिखा1 उन्होंने लिखा ..तुम्हें मेरी मौत की दर्दनाक खबर सुनायी जायेगी1 मां मुे यकीन है कि तुम सहन कर लोगी क्योंकि तुम्हारा बेटा माताओं की माता भारत माता की सेवा में जिन्दगी को कुर्बान कर रहा है1 उसने तुम्हारे परिवार पर कोई आंच नहीं आने दी बल्कि उसका रूतबा बुलन्द किया1.. इसके बाद 19 दिसम्बर 1927 को गोरखपुर की जेल में बिस्मिल कोफांसी पर लटका दिया गया
इस अमर शहीद की याद में आज गोरखपुर में युवाओं ने मोटर साइकिल जूलूस निकाला जिसका उद्देश्य बिस्मिल के संदेशों को जन जन तक पहुंचाना था1 स्थानीय बिस्मिल पार्क में श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया
उदय रिषभ मनोरंजन 1710 वार्ता.