35 दिन शनि रहेंगे अस्त, बढ़ेंगे संक्रामक रोग लेकिन इन्हें मिलेगी राहत
Saturn set Effects: कर्मफलदाता शनि पौष कृष्ण नवमी 7 जनवरी 2021 गुरुवार को सायं 4.02 बजे अस्त हो रहा है। शनि माघ कृष्ण चतुर्दशी 10 फरवरी 2021 बुधवार को रात्रि 1.32 बजे तक अस्त रहेंगे। शनि के अस्त होने का अर्थ है यह सूर्य से 15 अंश से भी कम की दूरी पर आ जाएगा। कोई भी ग्रह तब सूर्य के निकट आ जाता है तो वह सूर्य की प्रकाश के कारण आकाश मंडल में दिखाई नहीं देता तो उसे अस्त होना कहा जाता है। पंचांग भेद के कारण कुछ जगह शनि अस्त 4 जनवरी से बताया गया है।
पर्यावरण-प्रकृति पर प्रभाव
शनि अस्त होने का सर्वाधिक प्रभाव प्रकृति और पर्यावरण पर होता है क्योंकिशनि सबसे शीत ग्रह है। यह बर्फीला ग्रह है। शनि अस्त होने से मौसम में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं। साथ ही यह संक्रामक रोगों का कारक ग्रह भी होता है। शनि अस्त होने से शीत में बढ़ोतरी होगी। 35 दिन के अस्तकाल में अर्थात् 10 फरवरी तक उत्तर-पश्चिम दुनिया में, भारत की बात करें तो उत्तर-पश्चिम राज्यों में बर्फबारी, आंधी-तूफान, तापमान में अचानक ज्यादा गिरावट देखने को मिलेगी। भूस्खलन, भूकंप के झटके, प्राकृतिक आपदाएं, समुद्र में तेज हलचल जैसी स्थितियां सामने आ सकती हैं। फसलों पर कीट प्रकोप, ओलों से नुकसान की आशंका रहेगी।
संक्रामक रोगों पर प्रभाव
शनि संक्रामक रोगों का भी कारक ग्रह होता है। यह रहस्यमयी और गुप्त रोगों, अनजानी बीमारियों का कारक ग्रह है। शनि अस्त होने के कारण संक्रामक रोगों में वृद्धि होने की आशंका रहेगी। कुछ नए रोग, नए प्रकार के संक्रमण सामने आ सकते हैं। रोगों के कारण बड़ी संख्या में जन-धन हानि की आशंका है। मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों पर भी संकट रहेगा। शनिदेव का वाहन कौवा है, इसलिए कौवों के द्वारा किसी रोग के फैलने की आशंका है।
शासन व्यवस्था पर प्रभाव
शनि न्यायप्रिय और कर्मप्रधान ग्रह है। अस्त होने से लोगों में आलस्य बढ़ेगा। कार्य उतनी तेज गति से नहीं हो पाएंगे। सरकारी सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों में भ्रष्टाचार व्याप्त रहेगा। शासन-प्रशासन की व्यवस्थाएं डगमगाएंगी। कार्यक्षेत्र में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। व्यापार-व्यवसाय प्रभावित होगा।
इन्हें राहत रहेगी
शनि के अस्त होने से वे लोग राहत में रहेंगे जिनकी जन्मकुंडली में शनि बुरे प्रभाव दे रहा है या जिन्हें साढ़ेसाती या शनि का लघुकल्याणी ढैया चल रहा है। वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती धनु, मकर और कुंभ राशि पर चल रही है। इसके साथ लघुकल्याणी ढैया मिथुन और तुला राशि पर चल रहा है। अत: इन राशियों वाले लोग राहत में रहेंगे। इनके रोगों में कमी आएगी। परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। इसके अलावा भी जिन जातकों की जन्मकुंडली में शनि क्रूर प्रभाव दे रहा है वे राहत में रहेंगे।
क्या उपाय करें
शनि अस्त के दौरान परेशानियों से बचने के लिए सभी राशि के जातकों को शनि और हनुमानजी की आराधना करना चाहिए। शनि के बीजोक्त मंत्र ऊं खां खीं खूं स: मंदाय स्वाहा: का प्रतिदिन एक माला जाप करें। शनि के दर्शन करें, नीले पुष्प अर्पित करें, तिल की मिठाई का नैवेद्य लगाएं। इस दौरान नित्य सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमानजी को प्रत्येक शनिवार को श्रीफल अर्पित करें।