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पितृ पक्ष में ही मिलेगी पितृदोष से मुक्ति, जानिए निवारण की पूजा-विधि

By पं. गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। ज्योतिष को मानने वालों के बीच अक्सर पितृदोष को लेकर चर्चा होती है। कई लोगों को ज्योतिषी बताते हैं कि उनकी कुंडली में पितृदोष है, इस कारण उनकी तरक्की नहीं हो पा रही है, या उन्हें संतान का सुख नहीं मिल रहा, या उनके काम कभी पूरे नहीं हो पाते।

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आखिर यह पितृदोष है क्या और कैसे बनता है,आइये आज इसी पर चर्चा करते हैं...

जन्म कुंडली में पितृदोष

जन्म कुंडली में पितृदोष

जैसा कि नाम से ही जाहिर है किसी जातक की जन्म कुंडली में पितृदोष तब बनता है उनके मृत परिजनों का विधि-विधान से श्राद्धकर्म नहीं किया जाता है या जीवित अवस्था में संतानें अपने माता-पिता का अनादर करती है। पितरों के असंतुष्ट रहने पर व्यक्ति को पितृदोष लगता है। सर्प या किसी निरपराध की हत्या करने से भी यह दोष उत्पन्न होता है।

अशुभ फल देने

अशुभ फल देने

पितृदोष को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ फल देने वाला कहा गया है। यदि आपकी कुंडली में भी पितृदोष है तो श्राद्धपक्ष इसके निवारण के सबसे उत्तम दिन हैं। आपकी कुंडली में पितृदोष है या नहीं यह कोई योग्य ज्योतिषी बता देगा। यहां हम उसके निवारण पर चर्चा करेंगे।

पितृदोष के लक्षण

पितृदोष के लक्षण

  • यदि घर के बच्चे हमेशा बीमार रहते हों।
  • दंपती को संतान नहीं हो पा रही हो। बार-बार गर्भपात हो जाता हो।
  • केवल पुत्री संतानों का जन्म होना। पुत्र सुख नहीं मिलना।
  • किसी ठोस कारण के बिना ही परिवार में लड़ाई-झगड़े होना।
  • व्यक्ति की शिक्षा और करियर में रुकावट आना।
  • परिवार में सुख-शांति का अभाव होना।
  • यदि घर में रहने पर मानसिक अशांति हो। मन विचलित रहे और ऐसा अनुभव हो जैसे घर में कोई है।
  • शारीरिक और मानसिक रूप से अपंग संतानों का जन्म होना।

पितृदोष निवारण कैसे हो?

पितृदोष निवारण कैसे हो?

पितृदोष होने पर व्यक्ति कई तरह की परेशानियों से घिरा रहता है। इसलिए इस दोष का निवारण करवाना आवश्यक है। पितृदोष निवारण पूजा वैसे तो वर्ष में कभी भी करवाई जा सकती है, लेकिन पितृपक्ष में करवाना सबसे उत्तम माना गया है। यह पूजा श्राद्धपक्ष के पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें दिन या अमावस्या के दिन किसी संस्कारी और योग्य पंडित से करवाना चाहिए।

निमित्त पिंडदान

निमित्त पिंडदान

पितरों की शांति के लिए उनके निमित्त पिंडदान किए जाते हैं। यथाशक्ति गरीबों, निशक्तों को दान-दक्षिणा, भोजन करवाए जाते हैं। कौवों और कुत्तों को नियमित रोटी डालें। पीपल की जड़ में प्रतिदिन जल अर्पित करें। गौ सेवा और गौदान का भी बड़ा महत्व है। भगवान विष्णु की पूजा पितृदोष से राहत प्रदान करती है।

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English summary
Pitri Paksha also spelt as Pitru paksha is a 16–lunar day period in Hindu calendar when Hindus pay homage to their ancestor (Pitrs), especially through food offerings.
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