Kundali: कुंडली में शुक्र वक्री होने का क्या अर्थ है?
नई दिल्ली, 15 सितंबर। ग्रहों में शुक्र को भोग-विलास, भौतिक सुख सुविधाएं, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, यौन संतुष्टि आदि का अधिपति कहा गया है। जन्मकुंडली में शुक्र मजबूत हो तो जातक इन सभी क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियां प्राप्त करता है किंतु यदि शुक्र जन्म के समय ही वक्री है तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में किसी के प्रति लगाव नहीं रहता। आनंददायक वस्तुएं भी उसके लिए नीरस हो जाती है। विवाह के बाद भी ऐसे जातक को पत्नी, बच्चों, घर-परिवार के प्रति कोई लगाव नहीं होता। हालांकिऐसे व्यक्ति में सृजनात्मक शक्ति अत्यधिक होती है। बड़े कलाकार, संगीतज्ञ, कवि, लेखक, ज्योतिषी भी बनते हैं।
शुक्र का कुंडली के अलग-अलग भाव में वक्री होने का फल भी अलग-अलग प्राप्त होता है।
- प्रथम भाव : वक्री शुक्र लग्न में हो तो जातक का रूप सुंदर होता है। ऐसे व्यक्ति की वाणी उत्तम होती है।
- द्वितीय भाव : व्यक्ति कामुक, विलासी, कलाकार, विद्यावान एवं धनी होता है।
- तृतीय भाव : रचनात्मक कार्यो में असफल रहता है। व्यभिचारी एवं रंगीला होता है। बहनें अधिक होती हैं।
- चतुर्थ भाव : जातक भूमिपति होता है लेकिन एक बार उससे सब छिन भी जाता है। ग्राम का मुखिया होता है।
- पंचम भाव : कन्या संतान अधिक होती हैं। व्यक्ति जुआ, लाटरी आदि में धन खो बैठता है। ब़ड़ी रिस्क लेता है।
- षष्ठम भाव : विपरीतलिंगी के प्रति द्वेष रखता है। अपना धन स्वयं नष्ट करता है। घमंड के कारण पराभव होता है।
- सप्तम भाव : शत्रु अधिक होते हैं। विवाह, भागीदारी के कार्य, व्यापार में सफल नहीं होता। स्वार्थपूर्ण व्यवहार होता है।
- अष्टम भाव : पिता का ऋण चुकाता रहता है। विवाह में कष्ट आते हैं। जहरीले जीवों का प्रकोप होता है।
- नवम भाव : व्यक्ति सूदखोर बनता है। समाजसेवा के कार्य में भी पैसा लगाता है। आत्मप्रशंसा की भावना प्रबल होती है।
- दशम भाव : धनवान, वैभवशाली होता है। विवाह अच्छे कुल में होता है। गोचर में शुक्र के वक्री होने पर सम्मान मिलता है।
- एकादश भाव : धन-वैभव, मान-सम्मान, सेवकों से युक्त होता है। निम्न स्तरीय लोगों से अच्छा व्यवहार करता है।
- द्वादश भाव : खर्चीला होता है। धन इकठ्ठा नहीं कर पाता। नेत्र रोगों से पीड़ित होता है। व्यसनों में धन खर्च करता है।
वक्री शुक्र हो तो क्या करें
कुंडली में शुक्र वक्री हो तो जातक को संयमित जीवन जीना चाहिए। चांदी, प्लेटिनम धारण करें। सफेद जिरकन, ओपल, हीरा पहना जा सकता है। शुक्र के मंत्रों का जाप करें। शुक्रवार के दिन चमकीले सफेद वस्त्र पहनें। श्वेत पुष्पों से शिवजी का पूजन करें।
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