क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बिहार में सेब और स्ट्रॉबेरी की सफल खेती के बाद मैजिक धान की खेती, ठंडे पानी में ही हो जाता है शुगर फ़्री चावल

बिहार में अब किसान विभिन्न तरह की खेती का प्रयोग कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि उनकी कोशिश कामयाब भी हो रही है।

Google Oneindia News

पटना, 7 जून 2022। बिहार में अब किसान विभिन्न तरह की खेती का प्रयोग कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि किसानों की कोशिश कामयाब भी हो रही है। बिहार में सेब की खेती की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। बिहार में भी सेब की खेती को बेगूसराय के रहने वाले किसान अमित कुमार ने मुमकिन कर दिखाया है। उन्होंने साल भर पहले 40 से 45 डिग्री तापमान पर उगाये जाने वाले सेब की खेती की थी। अमित कुमार ने हरमन-99 के नाम से एक खास किस्म तैयार की गई सेब की प्रजाती की खेती कर कामयाबी हासिल की थी। इसी तरह बेगूसराय के ही मंझौल गांव में युवा किसान एकलव्य ने ऑस्ट्रेलियन ब्रीड की स्ट्रॉबेरी की खेती कर कामयाबी हासिल की।

विजय गिरि ने की एक नई पहल की शुरुआत

विजय गिरि ने की एक नई पहल की शुरुआत

बिहार में सेब और स्ट्रॉबेरी की कामयाब खेती के बाद अब बगहा के रहने वाले किसान विजय गिरी मैजिक धान की खेती कर सुर्खियां बटोर रहे हैं। मैजिक धान की खेती कर विजय गिरि ने एक नई पहल की शुरुआत की है। ग़ौरतलब है कि असम के ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर माजुला द्वीप में मैजिक धान की खेती की जाती है लेकिन अब बिहार के किसान विजय गिरी अपने गांव हरपुर सोहसा में इसकी कामयाब खेती कर रहे हैं। मैजिक चावल में अन्य चावल के मुक़ाबले में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन ज़्यादा पाई जाती है। विजय गिरि बताते हैं कि कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन होने के बावजूद मैजिक चावल शुगर फ्री है और इस चावल का इस्तेमाल शुगर के मरीज़ भी कर सकते हैं।

कृषि मेला से मिली मैजिक धान की खेती की जानकारी

कृषि मेला से मिली मैजिक धान की खेती की जानकारी

किसान विजय गिरी अब मैजिक चावल का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं ताकि किसान इस चावल की अहमियत समझें और इसकी खेती करें क्योंकि धान की पैदावर जितनी बढ़ेगी किसानों को उतना मुनाफ़ा भी होगा। विजय गिरि से जब यह पूछा गया कि मैजिक चावल की खेती का ख़याल कैसे आया ? तो उन्होंने बताया कि वह पिछले साल पश्चिम बंगाल के कृषि मेला में गए थे। वहां से इस चावल की खेती के बारे में जानकारी हासिल की। कृषि मेला से लौटने के बाद उन्होंने ट्रायल के तौर पर एक एकड़ जमीन पर इसकी खेती की। एक एकड़ ज़मीन पर खेती करने के बाद मैजिक धान की अच्छी पैदावार हुई। मैजिक धान की खेती के दौरान रासायनिक खाद की भी जरूरत नहीं पड़ी।

नॉर्मल पानी में भी तैयार हो जाता है चावल

नॉर्मल पानी में भी तैयार हो जाता है चावल

मैजिक चावल की एक और खासियत है कि इसे पकाने के लिए रसोई गैस या चूल्हे की जरूरत नहीं होती है। इस चावल को क़रीब 50 से 60 मिनट तक नॉर्मल पानी में रखने से भी चावल पक कर तैयार हो जाता है। एक शब्द में कहें तो इस चावल को पकाने के लिए ज्यादा तापमान की ज़रूरत नहीं होती है। मिली जानकारी के मुताबिक मैजिक धान की खेती में लागत बहुत कम है। इसकी सबसे खास वजह यह है कि इसकी खेती में रसायनिक खाद का इस्तेमाल की ज़रूरत नहीं होती है। मैजिक धान को पूरी तरह से तैयार होने में क़रीब 5 महीने का वक़्त लगता है। इसके साथ ही बाज़ार में इसकी क़ीमत भी अच्छी मिलती है। एक कीलो मौजिक चावल क़रीब 60 रुपये में बिकता है।

ये भी पढ़ें: Grape Farming : भारत में अंगूर की खेती में अपार संभावनाएं, करोड़ों रुपये का निर्यात

English summary
successful cultivation of apple and strawberry in Bihar, magic paddy cultivation
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X