EXCLUSIVE: यूपी में एंबुलेंस घोटाला, लगाया करोड़ों का चूना
मेरठ में आम लोगों के लिए चलाई जा रही सरकारी एंबुलेंस के संचालन में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। पढ़िए, किस तरह गैंग बनाकर अधिकारी चला रहे हैं यह स्कैम।
मेरठ। अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट रही समाजवादी एंबुलेंस 102 और 108 के संचालन में सरकार को किस तरह से करोड़ों का चूना लगाया गया है, इसकी बानगी मेरठ में देखने को मिली। जहां विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से मेरठ स्वास्थ्य विभाग में खड़ी गाड़ियां 160 की स्पीड पर दौड़ रही हैं। शायद ये सुनकर आपको यकीन न आये लेकिन ये सच है जिसके बारे में जानकर अधिकारी भी हैरान हैं। महज कागजों में दौड़ रहीं एंबुलेंस में आईडी यानि फर्जी कॉल का खेल चल रहा है। इस खेल को जब रिपोर्टर ने पकड़ा तो सरकार की योजना को पलीता लगाने वाले अधिकारी बगलें झांकने लगे। कैमरे पर आने की बात तो दूर उन्होने फोन पर बात करने से भी मना कर दिया। जब सीएमओ ने स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस में चल रहे आईडी के खेल की जांच कराई तो मामला सही पाया गया। जिसके बाद से स्वास्थ महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।
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160 की स्पीड से दौड़ रही खड़ी एंबुलेंस
प्रदेश की सत्ता में रही समाजवादी पार्टी की सरकार में 108 और 102 एंबुलेंस चलाई गई थी ताकि आम आदमी को समय पर स्वास्थ्य सेवा मुहैया हो सके और कोई भी व्यक्ति इलाज के अभाव में दम न तोड़े। लेकिन स्वास्थ विभाग में खड़ी 102 और 108 एंबुलेंस खड़ी-खड़ी ही 160 की स्पीड पर दौड़ रही है। एंबुलेंस ड्राइवर और अधिकारियों की सांठगांठ से इन गाड़ियों में ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल किया गया है जिसे देखकर यह रिपोर्टर खुद हैरान रह गया क्योंकि खड़ी गाड़ी 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ रही थी।
अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा स्कैम
खड़ी गाड़ियों के दौड़ने के इस पूरे खेल में स्वास्थ्य विभाग की 108 और 102 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर याकूब अली और इमरजेंसी मेडिकल एग्जेक्यूटिव राहुल त्यागी की मिलीभगत सामने आयी। इन दोनों अधिकारियों ने वाट्सऐप पर सभी ड्राइवरों का ग्रुप बना रखा है। किस तरह से काम करना है ये सब दिशानिर्देश ड्राइवरों और अन्य स्टाफ को उसी ग्रुप में दिये जाते थे। जो ड्राइवर जितनी आईडी देता, उसकी उतनी ही शाबाशी दी जाती थी और जिसकी आईडी कम रहती उसे उतनी फटकार झेलनी पड़ती। आईडी का मतलब फर्जी फोन कॉल के जरिये खड़ी एंबुलेंस को दौड़ाना।
सीएमओ ने मामले को सही पाया
जब ये पूरा मामला इस रिपोर्टर ने सीएमओ वीपी सिंह के संज्ञान में लाया तो खड़ी गाड़ियों का चलता मीटर, वाट्सऐप चैट देख वह भी हैरान रह गये। उन्होंने बताया कि इस माह ही उन्होंने 108 और 102 एंबुलेंस में लगी आईडी की जांच कराई थी। दोनो एंबुलेंस में 246 आईडी दिखाई गयी। जब इन आईडी की जांच कराई गई तो महज 33 आईडी ही सही पायी गई बाकी फर्जी निकली। ऐसे में अंदाजा लगाना सहज है कि किस तरह से स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी ही विभाग को हर माह लाखों रुपये की चपत लगा रहे हैं।
दो अधिकारी चला रहे यह पूरा खेल
जब भी कोई एंबुलेंस का ड्राइवर 108 और 102 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर याकूब अली और इमरजेंसी मेडिकल एग्जेक्यूटिव राहुल त्यागी की बात नहीं मानता तो उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता था। चार दिन पहले ही इन दोनों अधिकारियों ने 108 एंबुलेंस के ईएमटी को हटा दिया। बताया जा रहा है कि ईएमटी अतर सिंह ने इन दोनों अधिकारियों की शिकायत इनके ही शिकायत प्रकोष्ठ ‘वीकेयर‘ पर की थी जिसके बाद उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। कुल मिलाकर का जा सकता है इस योजना से जुड़े मात्र दो लोगों के कारण सरकार को लाखो-करोड़ों का चूना लग रहा है।
स्वास्थ्य महकमे में मचा है हड़कंप
सूबे में 5 साल रही अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही आम आदमी को 108 और 102 एंबुलेंस का तोहफा दिया था। लेकिन इस तोहफे के जरिये अधिकारियों ने किस तरह करोड़ों की हेरा-फेरी की, इसकी 5 साल तक किसी को भनक तक भी नहीं लगी। लेकिन अब ये मामला खुलने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि ऐसा केवल अभी मेरठ में ही सामने आया है अगर ऐसी स्थिति सूबे के अन्य जिलों में भी रही होगी तो ये घोटाला करोड़ों की जगह अरबों में पहुंच सकता है। जिसकी जवाबदेही अभी सुनिश्चित करानी जरुरी है। देखना ये है कि सूबे की योगी सरकार इस मामले का संज्ञान लेकर भ्रष्टाचारियों पर कुछ कार्रवाई कर पायेगी या नहीं?
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