Antyodaya Diwas 2021 : पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के दिन ही क्यों मनाया जाता है अंत्योदय दिवस, जानें
Antyodaya Diwas 2021: पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के दिन ही क्यों मनाया जाता है अंत्योदय दिवस, जानें अहम बातें
नई दिल्ली, 24 सितंबर: भारत में हर साल 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। अंत्योदय दिवस पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के दिन मनाया जाता है। दीनदयाल उपाध्याय को एक राष्ट्रवादी नेता के तौर पर याद किया जाता है, जो गरीबों और दलितों के हक के लिए हमेशा आवाज उठाते थे। अंत्योदय शब्द का अर्थ है उत्थान। यह दिन असल में समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए समर्पित है। भारत में अंत्योदय दिवस गरीबी उन्मूलन और समाज के पिछड़े व्यक्ति के विकास के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2017 में की गई थी। 2017 में शुरू हुआ अंत्योदय दिवस के उत्सव का ये पांचवां वर्ष है।
2014 में भाजपा की सरकार के सत्ता में आने के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों को याद करने और उसे बढ़ावा देने के लिए उनकी जयंती के दिए अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की याद में सरकार ने समाज के कमजोर वर्ग के लोगों की मदद के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। अंत्योदय दिवस के दिन ऐसे कामों को करने पर जोर दिया जाता है, जिससे युवा कौशल विकास कार्यक्रमों और करियर वृद्धि कार्यक्रमों को बेहतर बनाया जा सके।
क्या है अंत्योदय दिवस 2021 का थीम?
इस दिन को मनाने के लिए भारत सरकार हर साल कोई थीम जारी नहीं करती है। लेकिन इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद या विषय है- समाज के गरीब और पिछड़े लोगों का विकास करना। गरीब से गरीब व्यक्ति की मदद करना अंत्योदय दिवस का मुख्य विषय है। समाज में गरीब और दबे-कुचले लोगों की मदद के लिए यह दिन समर्पित है। इस दिन सरकार कई योजनाओं की घोषणाएं करती हैं, जो गरीबों के लिए फायदेमंद होती है। इस दिन का उद्देश्य समाज के उस अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है, जो आम सुविधाओं से वंचित है।
पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के दिन ही क्यों मनाया जाता है अंत्योदय दिवस?
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था। उनका जन्म 25 सितंबर 1916 में हुआ था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के सर्वश्रेष्ठ नेताओं में से एक थे। इसी संगठन से बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बाद में अस्तित्व में आई। पंडित दीनदयाल उपाध्याय 1953 से 1968 तक संघ के सक्रिय नेता थे।
दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसी शख्सियत थे जो समाज में गरीब लोगों के लिए हमेशा खड़े रहते थे। समाज के निचले तबके के लोगों के उत्थान के लिए दीनदयाल उपाध्याय ने कई कार्य किए। उनके इन्ही कार्यों और समपर्ण की भावना को याद करने और उनके सम्मान में 25 सितंबर को देश में हर साल अंत्योदय दिवस मनाया जाता है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही अंत्योदय का नारा दिया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था, कोई भी देश अपनी जड़ों के कटकर विकास नहीं कर सकता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति से अलग उनको साहित्य में भी उनकी गहरी रुची थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे थे।
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय सिर्फ 43 दिनों तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे थे। 10-11 फरवरी 1968 की रात मुगलसराय स्टेशन पर उनका शव मिला था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आकस्मिक निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी।