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क्या है पंजाब समेत उन राज्यों को जीतने का BJP का मास्टरप्लान, जहां अब तक हाशिए पर थी पार्टी ?

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नई दिल्ली- हैदराबाद में जीत से उत्साहित बीजेपी अभी जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनाव और केरल में स्थानीय निकाय चुनाव पर जोर लगा रही है। इसके बाद उसका अगला फोकस कृषि कानूनों पर सुलगे किसान आंदोलन के बावजूद पंजाब पर रहेगा। यानि हर शहरी निकाय का चुनाव भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिकताओं की लिस्ट में है, खासकर उन राज्यों में जहां बीजेपी अब तक हाशिए पर रही है। भाजपा के लिए हमेशा से कहा जाता रहा है कि वह शहरी वोटरों की पार्टी है। अब पार्टी इसी धारणा का इस्तेमाल उन राज्यों में अपनी एंट्री के लिए कर रही है, जिसके जरिए वह धीरे-धीरे विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी अपना जनाधार मजबूत कर सके। इस नजरिए से हैदराबाद के परिमाण नाम ने उसके दिमाग की घंटी बजा दी है।

शहरी निकाय चुनावों पर भाजपा का फोकस

शहरी निकाय चुनावों पर भाजपा का फोकस

ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में शानदार प्रदर्शन के बाद केरल और जम्मू-कश्मीर में हो रहे स्थानीय निकाय के चुनाव को लेकर भी बीजेपी का मनोबल काफी ऊंचा है। केरल में लोकल बॉडी के लिए वोट पड़े हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में डीडीसी के चुनाव 8 चरणों में हो रहे हैं। भाजपा के केरल प्रदेश अध्यक्ष के सुंदरन ने ईटी से कहा है, 'केरल में हमें कम से कम दो से तीन नगर निगम में जीतने की उम्मीद है। ' इसी तरह जम्मू-कश्मीर के चुनाव में भी पार्टी पूरी गंभीरता से मैदान में है। यहां उसने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनावाज हुसैन को इसके लिए तैनात किया है। शाहनवाज हुसैन ने कहा है, 'कश्मीर के लोग बीजेपी को वोट देना चाहते हैं और परिणाम सबके लिए चौंकाने वाले रहेंगे।' ये सारे वैसे राज्य हैं, जहां भाजपा की मौजूदगी अब तक उस तरह की नहीं रही है, जैसा कि हिंदी हार्टलैंड में उसका दबदबा होता है; और वहां वैसा ही जनाधार बनाने के लिए पार्टी शहरी निकायों को अपना प्रवेश द्वार बनाना चाह रही है। अलबत्ता, जम्मू-कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में वह एक प्रभावशाली दल की भूमिका में जरूर आ चुकी है।

ऐसे पंजाब जीतने की तैयारी में जुटी है बीजेपी

ऐसे पंजाब जीतने की तैयारी में जुटी है बीजेपी

भाजपा का सबसे चौंकाने वाला मंसूबा पंजाब को लेकर है। वहां उसकी सबसे पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल साथ छोड़ चुकी है। लेकिन, पार्टी अब अपने दम पर वहां खड़े होने की तैयारी में है। कृषि कानूनों पर किसानों के भारी विरोध के बावजूद पंजाब में बेहतर प्रदर्शन करने की उसकी उम्मीद ढीली नहीं पड़ी है। पंजाब के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने कहा, 'हमारा फोकस शहरी निकाय के चुनावों पर है और इन चुनावों के लिए संगठन को मजबूत करने के लिए मैं लगातार विभिन्न जिलों के दौरे कर रहा हूं।.......पहले हम गठबंधन के तहत चुनाव लड़ते थे। अब हमारा चुनाव चिन्ह हर जगह दिखेगा और बेशक वोटरों को सीधे हमें वोट करने का मौका मिलेगा।' पंजाब में अभी तक स्थानीय निकाय चुनाव के तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी नेता को लगता है कि यह अगले साल फरवरी में होगा। उन्होंने कहा, 'सरकार तो ऐसा ही कह रही है। हमें लगता है कि ये चुनाव जल्दी ही होंगे।' कहते हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू बीजेपी के साथ थे तो वो भी पार्टी पर इसी बात के लिए दबाव बनाते थे कि अकाली दल का साथ छोड़ने में ही भलाई है।

हरियाणा में भी सफल रही है पार्टी की रणनीति

हरियाणा में भी सफल रही है पार्टी की रणनीति

दरअसल, शहरी निकायों पर नियंत्रण पा लाने से भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाने का बहुत बड़ा मौका मिलता है, क्योंकि वर्षों से देशभर में शहरी वोटों में उसका हिस्सा बहुत बड़ा रहता है। वैसे हरियाणा में भाजपा 2014 में पहली बार अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ी और जीती थी। चार साल बाद 2018 के दिसंबर में पहली बार करनाल, रोहतक, हिसार, पानीपत और यमुनानगर में मेयर के पद के लिए सीधे चुनाव हुए और पार्टी सभी पांचों सीट जीत गई। पार्टी का यह प्रदर्शन 2019 के लोकसभा चुनाव तक बरकरार रहा और वह राज्य की सभी 10 सीटें जीत गई। 2014 में उसे सिर्फ 7 सीटें मिली थीं। जो तीन नई सीटें वह जीती, वो तीनों वही थे जहां उसने मेयर का चुनाव जीता था- कांग्रेस का गढ़ रोहतक और सिरसा और हिसार में उसने आईएनएलडी को हराया था।

ओडिशा में पार्टी मार चुकी है जबर्दस्त एंट्री

ओडिशा में पार्टी मार चुकी है जबर्दस्त एंट्री

पार्टी के मास्टरप्लान में ओडिशा भी शामिल रहा है। लेकिन, इसका असर दिखने की प्रभावी शुरुआत दिखी 2017 के पंचायत चुनावों में। पार्टी 851 में से 306 पंचायत की सीटें जीत गई। 2012 के 36 सीटों के मुकाबले यह बहुत बड़ी छलांग थी और पार्टी वहां मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। 2019 के विधानसभा चुनाव में वह 23 सीटें जीतकर वहां भी मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई और लोकसभा में तो उसे 8 सीटें मिल गईं। 2014 में पार्टी को ओडिशा में लोकसभा की सिर्फ 1 सीट मिली थी। यानि पार्टी फिलहाल अपने मास्टरप्लान में हैदराबाद में तो आश्चर्यजनक रूप से कामयाब रही है, अब बारी जम्मू-कश्मीर में डीडीसी और केरल के निकाय चुनावों की है। पंजाब के अपने मिशन में कितना कामयाब होगी इसका अंदाजा लगा अभी दूर की कौड़ी है। (तस्वीरें-फाइल)

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English summary
BJP's plan to win states where the party does not yet have the support base,
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