
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: कुरुक्षेत्र को मिल रही शिल्प और लोक कला केंद्र के रूप में पहचान
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के कारण ही धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र को शिल्प और लोक कला केंद्र के रूप में एक अनोखी पहचान मिल रही है। इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मंच पर 23 राज्यों से 600 से ज्यादा शिल्पकार पहुंचे हैं और 6 से ज्यादा राज्यों के लोक कलाकार अपने-अपने प्रदेश की संस्कृति की छटा बिखेर रहे थे। इस धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र को शिल्प और लोक कला केंद्र के रूप में पहचान दिलाने का सारा श्रेय मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जाता है। धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर और आसपास के क्षेत्र को देखकर ऐसा लग रहा है मानों भारतवर्ष की संस्कृति व शिल्पकला एक लघु भारत के रूप में ब्रह्मसरोवर पर उमड़ आई हो।

गीता महोत्सव में अनेक राज्यों से आए कलाकार अपनी कला का हुनर दिखा रहे हैं। शिल्पकारों की कला गीता महोत्सव का आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बनी हुई है। मेले को लगे हुए अभी पांचवां दिन ही हुआ है। लगातार दर्शकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पर्यटकों को ब्रह्मसरोवर के घाटों पर जम्मू और कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित दक्षिण भारत के राज्यों की संस्कृति व शिल्पकारी की प्रस्तुतियां दी जा रही हैं। उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 22 जिलों व 119 खंडों के 75 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं और शिक्षक आनलाइन प्रणाली के जरिए वैश्विक गीता पाठ के साथ जुड़ेंगे। कैथल के सेल्फ हेल्प ग्रुप के शिल्पकार लकड़ी को तराशकर ऐसा स्वरूप दे रहे हैं जिसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो रहा है।
कालका से पहुंची जंगम जोगी की पार्टी
युवा पीढ़ी अगर परंपरा को जिंदा रखने के लिए आगे आए तो यह गौरव की बात है। ऐसा ही उदाहरण गीता महोत्सव में कालका से पहुंची जंगम जोगी की पार्टी पेश कर रही है। इस पार्टी में शामिल 6 कलाकारों में से 3 युवा कलाकार है, जो पेशे से पेंटर हैं लेकिन अपनी पुश्तैनी परंपरा को जिंदा रखने के लिए जंगम जोगी के भजन गुनगुना रहे हैं। कुरुक्षेत्र आए कृष्ण कुमार का कहना है कि आज के युवा पढ़ाई-लिखाई करने के बाद नौकरी या अपना काम शुरू कर देते हैं। चुनिंदा ही ऐसे होते हैं, जो अपनी पुश्तैनी परंपरा को बनाए रखने के लिए प्रयास करते हैं और जंगम जोगी के भजन गाना शुरू करते हैं।