मनोहर लाल सरकार दलहन तिहलन की खेती करने वालों को दे रही है दोहरा लाभ, किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में कदम
चंडीगढ़, 4 जुलाई। हरियाणा सरकार ने फसल विविधीकरण की मुहिम और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए एक और अहम कदम उठाया है। अब दलहन और तिलहन फसलों की खेती करने वाले किसानों को डबल फायदा मिलेगा। सरकार ने इन फसलों को उगाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4000 हजार रुपए सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। साथ ही बाजार में इनका दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहा है। सरकार ने इस योजना को दक्षिण हरियाणा के सात जिलों जिनमें झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, हिसार व नूंह के लिए विशेष योजना की शुरुआत की है। इस योजना को अपनाने वाले किसानों को चार हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह पैसा इसलिए दिया जा रहा है ताकि किसान पुरानी फसलों का मोह छोड़कर इन फसलों को अपना लें।
योजना की जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सरकार किसानों की लागत को कम करके उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा फसल विविधीकरण के अंतर्गत दलहन व तिलहन की फसलों को बढ़ावा देने के लिए इस नई योजना की शुरुआत की गई है। प्रदेश में खरीफ 2022 के दौरान एक लाख एकड़ में दलहनी व तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने का लक्ष्य है। सीधे बैंक अकाउंट में आएगी प्रोत्साहन राशि इस योजना के अन्तर्गत दलहनी फसलें (मूंग व अरहर) को 70,000 एकड़ क्षेत्र में और तिलहन फसल (अरण्ड व मूंगफली) को 30,000 एकड़ में बढ़ावा दिया जाएगा। दलहन व तिलहन की फसल उगाने वाले किसान को 4,000 रुपये प्रति एकड़ वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
इस योजना का लाभ लेने वाले किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण कराना जरूरी है। वित्तीय सहायता फसल के सत्यापन के बाद किसानों के खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी। दलहन-तिलहन को क्यों चुना? दरअसल, हरियाणा ऐसा सूबा है जहां पर पानी की बहुत किल्लत है। प्रदेश के 85 ब्लॉक पानी के लिहाज से डार्क जोन में चले गए हैं। जहां पर पानी 100 मीटर से भी नीचे चला गया है। ऐसे में सरकार चाहती है कि किसान कम पानी वाली फसलों की खेती करें। क्योंकि कृषि क्षेत्र में ही सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है। तिलहन और दलहन फसलों में कम पानी की खपत होती है।
यही नहीं इनका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहा है। ऐसे में किसानों को डबल फायदा है। खेती के लिए सरकार मदद दे रही है और दाम एमएसपी से अधिक मिल रही है। इन दोनों फसलों में देश अब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सका है। हम हर साल करीब 10 हजार करोड़ रुपये की दालें और 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का खाद्य तेल इंपोर्ट कर रहे हैं। इसलिए दलहन, तिलहन की खेती करके किसान देश को इन फसलों में आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान देंगे।