1932 का खतियान लागू करने के फैसले को बीजेपी ने बताया अपूर्ण
1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और पिछड़ा वर्ग आरक्षण के संबंध में झारखंड सरकार की ओर से लिया गया फैसला बीजेपी को रास नहीं आया है।इसी मुद्दे पर गुरुवार को प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की बैठक हुई। बैठक के बाद
रांची,16 सितंबरः 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और पिछड़ा वर्ग आरक्षण के संबंध में झारखंड सरकार की ओर से लिया गया फैसला बीजेपी को रास नहीं आया है।इसी मुद्दे पर गुरुवार को प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की बैठक हुई। बैठक के बाद दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी और अन्नपूर्णा देवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन दोनों मसलों पर पार्टी के दृष्टिकोण को साफ किया। बीजेपी नेताओं ने कहा कि स्थानीय नीति न विधिसम्मत है और न ही सर्वसम्मत है। बीजेपी नेताओं ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर प्रक्रिया विहीन प्रावधान अत्यंत दुर्भायपूर्ण करार दिया।
स्थानीय
नीति
पर
आनन-फानन
में
निर्णय
लिया
गया
इलेक्ट्रॉनिक्स
और
एक्सेसरीज
पर
बंपर
छूट,
महज
99
रुपये
से
शुरू
|
बीजेपी नेताओं ने कहा कि 15 नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य गठन के बाद पहली सरकार बीजेपी के नेतृत्व में बनते ही स्थानीयता एवं नियोजन नीति को परिभाषित करने के लिए पहल प्रारंभ कर दिया गया। राज्य सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई और उस बैठक के सर्वसम्मत निर्णय के आधार पर कैबिनेट में स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए राज्य के पिछले सर्व (राइट्स ऑफ रेकॉर्ड) में जिनके पूर्वजों का नाम दर्ज हो, उनको स्थानीय मानते हुए और जिला स्तर पर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सेवा में नियुक्ति देने में प्राथमिकता का निर्णय लिया। लेकिन हाई कोर्ट ने इसको निरस्त कर दिया। बीजेपी जनभावना का सम्मान करते हुए एक विधिसम्मत एवं सर्वसम्मत निर्णय की पक्षधर है।
बीजेपी नेताओं ने कहा कि स्थानीयता के लिए वर्तमान सरकार की ओर से निर्धारित आधार अपूर्ण है। वर्तमान झारखंड सरकार की ओर से स्थानीय नीति को नियोजन नीति से नहीं जोड़ना भी समझ से परे हैं। ऐसा लगता है कि यह निर्णय आनन - फानन में लिया गया है, जो न विधिसम्मत है और न ही सर्वसम्मत है।
बीजेपी
कमजोर
और
पिछड़ा
वर्गाें
के
आरक्षण
के
लिए
सदैव
हिमायती
बीजेपी
नेताओं
ने
कहा
कि
पार्टी
समाज
के
कमजोर
एवं
पिछड़ा
वर्गों
के
आरक्षण
के
लिए
सदैव
हिमायती
रही
है।
बाबूलाल
मरांडी
के
नेतृत्व
में
गठित
पहली
सरकार
में
अनुसूचित
जनजाति
(
आदिवासी
)
समुदाय
को
32
प्रतिशत
,
अनुसूचित
जाति
(
एससी
)
समुदाय
को
14
प्रतिशत
,
ओबीसी
समुदाय
को
27
प्रतिशत
सहित
कुल
आरक्षण
73
प्रतिशत
का
प्रावधान
किया
गया
था
।
लेकिन
उच्च
न्यायालय
ने
इसे
निरस्त
कर
दिया
।
उन्होंने
कहा
कि
बीजेपी
की
राज्य
सरकार
ने
झारखंड
राज्य
में
पिछड़े
समाज
को
27
प्रतिशत
आरक्षण
देने
के
लिए
27
प्रतिशत
आरक्षण
को
विधिसम्मत
बनाने
के
लिएराज्य
में
सर्वेक्षण
का
निर्णय
किया
था।
लेकिन
वर्तमान
सरकार
ने
उस
सर्वेक्षण
कार्य
को
बंद
कर
दिया,
ताकि
इस
समाज
को
आरक्षण
का
विधि
सम्मत
लाभ
न
मिल
पाये।
बीजेपी नेताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार की ओर से दिया गया आरक्षण विधिसम्मत और संवैधानिक ढांचे में नहीं है। पिछड़े वर्ग के मुद्दे को कमजोर करने के लिए हेमंत सरकार ने प्रक्रिया विहीन प्रावधान किया है, जो अत्यंत दुर्भायपूर्ण है। इस कार्य में सरकार में शामिल कांग्रेस और राजद भी समान रूप से दोषी है। बीजेपी इसे हेमंत सरकार के इस प्रक्रिया विहीन निर्णय मानती है। ऐसे समय में पार्टी राज्य की जनता से अपील करती हैं कि राज्य सरकार की ओर से भ्रामक तथ्यों के आधार पर जो विद्वेष का बीज बोया जा रहा है, उसे लेकर जनता सावधान रहे और शांति और सौहार्द बनाये रखे।
केंद्रीय
मंत्री
अर्जुन
मुंडा
समेत
कई
नेता
वर्चुअल
माध्यम
से
बैठक
में
शामिल
हुए
देर
शाम
तक
चली
रांची
स्थित
पार्टी
कार्यालय
में
हुई
इस
बैठक
में
प्रदेश
अध्यक्ष
सह
सांसद
दीपक
प्रकाश,नेता
विधायक
दल
एवम
पूर्व
मुख्यमंत्री
बाबूलाल
मरांडी,
संगठन
महामंत्री
कर्मवीर
सिंह,
केंद्रीय
राज्य
मंत्री
अन्नपूर्णा
देवी,
सांसद
सुनील
सिंह,
पूर्व
सांसद
रविंद्र
कुमार
राय,
विधायक
नीलकंठ
सिंह
मुंडा
और
सांसद
समीर
उरांव
उपस्थित
रहे।
जबकि
वर्चुअल
रूप
में
पूर्व
मुख्यमंत्री
एवम
राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष
रघुवर
दास
,केंद्रीय
मंत्री
अर्जुन
मुंडा
,प्रदेश
के
नव
नियुक्त
प्रभारी
लक्ष्मीकांत
वाजपेई
एवम
पूर्व
प्रदेश
अध्यक्ष
डॉ
दिनेशानंद
गोस्वामी
भी
शामिल
हुए।