नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में विकसित होगा 2 हजार मीटर का जोहड़
नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (एनएसयूटी) ने प्रकृति को सहेजने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस कड़ी में विश्वविद्यालय, परिसर में करीब दो हजार वर्ग मीटर में जोहड़ विकसित कर रहा है।
नई दिल्ली,4 जुलाई: नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (एनएसयूटी) ने प्रकृति को सहेजने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस कड़ी में विश्वविद्यालय, परिसर में करीब दो हजार वर्ग मीटर में जोहड़ विकसित कर रहा है। केंद्र सरकार के जल शक्ति मिशन योजना के तहत यह निर्णय लिया गया है। इससे न सिर्फ भूजल बढ़ेगा, बल्कि परिसर में जोहड़ के आसपास तरह-तरह के पक्षियों को आशियाना भी मिलेगा।
मानसून
के
दौरान
विश्वविद्यालय
की
करीब
50
एकड़
हरित
भूमि
को
पानी
देने
की
आवश्यकता
नहीं
होती
है।
ऐसे
में
विश्वविद्यालय
शोधित
जल
संयंत्र
का
पानी
जोहड़
के
माध्यम
से
संरक्षित
करेगा।
वर्तमान
में
विश्वविद्यालय
हर
वर्ष
करीब
31,670
क्यूबिक
मीटर
पानी
को
भूमिगत
कर
रहा
है,
जिससे
भूजल
में
गिरावट
को
कम
किया
जा
सके।
पुराने
कुओं
के
माध्यम
से
भूजल
किया
जाता
है
रिचार्ज
एनएसयूटी
वर्तमान
में
जिस
जगह
पर
बना
हुआ
है,
कभी
यहां
पर
बड़ी
संख्या
में
कुएं
हुआ
करते
थे।
हालांकि,
साल
1990
में
द्वारका
सेक्टर
तीन
की
यह
जमीन
विश्वविद्यालय
को
मिल
गई।
इसके
बाद
यहां
से
कई
कुओं
का
अस्तित्व
खत्म
हो
गया।
वर्तमान
में
यहां
पांच
कुएं
हैं,
जिनका
इस्तेमाल
विश्वविद्यालय
द्वारा
वर्षा
जल
संचयन
के
लिए
किया
जाता
है।
विश्वविद्यालय
परिसर
में
बनी
सड़कों
के
दोनों
ओर
छोटी
नालियां
बनी
हुई
हैं।
बारिश
का
पानी
इन
नालियों
के
माध्यम
से
कुओं
तक
पहुंचता
है।
कुएं
पर
पानी
को
तीन
स्तर
पर
शोधित
करने
के
बाद
उसे
कुएं
में
छोड़
दिया
जाता
है।
बीते
कई
वर्षों
से
विश्वविद्यालय
बारिश
के
पानी
को
सहेजने
का
काम
कर
रहा
है।
हाल
ही
में
दिल्ली
जल
बोर्ड
की
मदद
से
वर्षा
जल
संयंत्र
लगाया
गया
है,
जिसके
माध्यम
से
इमारतों
पर
गिरने
वालो
पानी
को
सरंक्षित
किया
जाता
है।
इससे
जहां
एक
तरफ
मानसून
में
पानी
का
सरंक्षण
हो
जाता
है
वहीं,
परिसर
में
जलजमाव
की
समस्या
भी
नहीं
होती
है।