रंगों के त्यौहार होली से सम्बन्धित दंत कथाएं
आंचल श्रीवास्तव
लखनऊ। होली के त्यौहार से सम्बन्धित कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनमे सबसे ज्यादा प्रहलाद-होलिका और पूतना की कहानी लोकप्रिय है | जिस तरह से हर त्यौहार में अंत में असत्य पर सत्य की विजय की जीत का संदेश देते हैं उसी प्रकार इन कहानियों में भी यही संदेश मिलता है।
भाग्य बदलना है तो होली पर अपनाये अचूक टोटके
गौरी और शिव की प्रेम कथा
पहली कहानी शिव और पार्वती की है। हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता को आये। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी। शिवजी को बडा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा। पार्वती की आराधना सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकात्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
प्रहलाद की भक्ति की कथा
होली का त्यौहार प्रह्लाद और होलिका की कथा से भी जुडा हुआ है। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यपु नास्तिक थे। वह चाहते थे कि उनका पुत्र भगवान नारायण की आराधना छोड़ दे। परन्तु प्रह्लाद इस बात के लिये तैयार नहीं था। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ आग में बैठने को कहा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। परन्तु होलिका का यह वरदान उस समय समाप्त हो गया जब उसने भगवान भक्त प्रह्लाद का वध करने का प्रयत्न किया। होलिका अग्नि में जल गई परन्तु नारायण की कृपा से प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ।
%u0930%u0902%u0917%u094B%u0902 %u0915%u0947 %u0924%u094D%u092F%u094C%u0939%u093E%u0930 %u0939%u094B%u0932%u0940 %u0938%u0947 %u0938%u092E%u094D%u092C%u0928%u094D%u0927%u093F%u0924 %u0926%u0902%u0924 %u0915%u0925%u093E%u090F%u0902
पूतना के वध की कथा
कुछ लोग इस उत्सव का सम्बन्ध भगवान कृष्ण से मानते हैं। राक्षसी पूतना एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर बालक कृष्ण के पास गयी। वह उनको अपना जहरीला दूध पिला कर मारना चाहती थी। दूध के साथ साथ बालक कृष्ण ने उसके प्राण भी ले लिये। कहते हैं मृत्यु के पश्चात पूतना का शरीर लुप्त हो गया इसलिये ग्वालों ने उसका पुतला बना कर जला डाला। मथुरा तब से होली का प्रमुख केन्द्र है।
राधा कृष्ण की रास लीला
होली का त्योहार राधा और कृष्ण की पावन प्रेम कहानी से भी जुडा हुआ है। वसंत के सुंदर मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है। वृन्दावन की होली राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबी हुई होती है।
गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण
होली के दिन घरों में खीर, पूरी और पूड़े आदि विभिन्न व्यंजन पकाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। बेसन के सेव और दहीबड़े भी सामान्य रूप से उत्तर प्रदेश में रहने वाले हर परिवार में बनाए व खिलाए जाते हैं। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं।