Rohini Vrat 2021: रोहिणी व्रत का महत्व, तिथि और जानें पूरी पूजा विधि
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नई दिल्ली, 23 अक्टूबर: भारत में अनेक धर्मों के साथ-साथ त्योहारों व्रत, पूजा पाठ का अपना एक अलग ही महत्व है। ऐसे ही इन शुभ कार्यों में रोहिणी व्रत का भी अपना विशेष स्थान है। रोहिणी व्रत मुख्य तौर से जैन धर्म की महिलाओं की तरफ से रखा जाता है। जैन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु और सफलता के लिए व्रत के साथ पूजा अर्चना करती हैं।
दरअसल यह उपवास 27 दिनों में एक बार होता है, जब रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय के बाद आकाश में आता है। वो दिन जैन समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस बार पर गौर करें तो इस महीने यह 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। याद रहे कि इस दिन करवा चौथ का व्रत किया जाएगा। वहीं आगे आने वाले रोहिणी व्रत जानिए...
- 20 नवंबर, शनिवार रोहिणी व्रत
- 18 दिसंबर, शनिवार रोहिणी व्रत
रोहिणी व्रत 2021 का महत्व
रोहिणी व्रत जैन समुदाय द्वारा मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत का पालन करती हैं। साथ ही घर और परिवार की शांति के लिए प्रार्थना करती हैं। ये व्रत तब शुरू होता है, जब रोहिणी नक्षत्र आकाश में प्रकट होता है, यह चंद्रमा की पत्नी है और सभी सितारों में सबसे चमकीला तारा माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र का शासक ग्रह है, जबकि ब्रह्मा देवता हैं। भगवान वासुपूज्य 24 तीर्थंकरों में से एक हैं। रोहिणी व्रत के दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है।
पुरुष और स्त्रियां दोनों कर सकते हैं व्रत
यह व्रत हर महीने पूरी श्रद्धा के साथ रखा जाता है। जैन धर्म में मान्यता है कि इस व्रत को पुरुष और स्त्रियां दोनों कर सकते हैं। हां लेकिन महिलाओं के लिए यह व्रत अनिवार्य है। इस व्रत को कम से कम 5 महीने और अधिकतम 5 साल तक करना चाहिए।
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रोहिणी व्रत 2021 पूजा विधि
- महिलाओं को इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी स्नान करना चाहिए।
- जैन भगवान वासुपूज्य की मूर्ति के साथ एक वेदी स्थापित करें।
- फूल, धूप और प्रसाद चढ़ाकर पूजा करें।
- कनकधारा स्तोत्र का पाठ भी करें।
- बुरे व्यवहार और गलतियों के लिए प्रार्थना की जाती है।
- रोहिणी नक्षत्र के आकाश में प्रकट होने के बाद व्रत की शुरुआत।
- मृगशिरा नक्षत्र के आकाश में उदय होने पर व्रत की समापन।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया जाता है।
- रोहिणी व्रत आमतौर पर तीन, पांच या सात साल के लिए मनाया जाता है।
- पांच साल और पांच महीने उपवास की उचित अवधि मानी जाती है।
- रोहिणी व्रत का समापन उद्यापन से करना चाहिए।