'फाइनल सोल्यूशन' के बाद फिर सामने आए राकेश
फाइनल सोल्यूशन से चर्चा में आने वाले फिल्मकार राकेश शर्मा अब अपनी दो नई फिल्में लेकर सामने आए हैं. उनका मानना है कि ये फिल्में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान वायब्रेंट गुजरात के छलावे को सामने लाती हैं. शर्मा का कहना है कि पिछले पांच वषो में इस प्रदेश में 500 किसानों ने आत्महत्या की है. गुजरात दंगों पर अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वृत्तचित्र फाइनल सोल्यूशन के फिल्मकार ने यह बात आज यहां अपने दो नये वृत्तचित्रों खेडू मोरा रे और चेत ता रेजो जारी करते हुए कही.
शर्मा ने बताया कि खेडू मोरा रे में वायब्रेंट गुजरात के मिथक को तोड़ा गया है और दिखाया गया है कि गुजरात में किसानों की क्या दशा है. विशेष आर्थिक क्षेत्रों और मोदी सरकार की अन्य नीतियों के प्रति लोगों में कितना रोष है. शर्मा ने कहा कि मोदी अपनी छवि विकास पुरुष के रूप में पेश कर रहे हैं लेकिन वृत्तचित्र में गुजरात सरकार के दिये आंकड़ों से ही इन दावों की विश्वसनीयता की परख की गयी है.
फिल्मकार के अनुसार 14 मार्च 2007 को एनडीटीवी को दिये एक साक्षात्कार में मोदी ने दावा किया था कि गुजरात में एक भी किसान ने आत्महत्या नहीं की लेकिन एक महीने बाद विधानसभा में उन्होंने स्वीकार किया कि 148 किसानों ने आत्महत्या की है. बाद में जब हमने सूचना अधिकार कानून के जरिये जानकारी मांगी तो अक्तूबर 2007 में यत तथ्य सामने आया कि 498 किसानों ने खुदकुशी की है.
शर्मा ने बताया कि उनके वृत्तचित्र में किसानों की आत्महत्याओं और एसईजेड के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ जनांदोलनों को सामने लाया गया है. शर्मा ने बताया कि दूसरी फिल्म चेत ता रेजो 2002 के बाद गिरफ्तारियों और मुकदमों का विश्लेषण करती है. दंगों, आगजनी, लूट, हत्या के अधिकतर मामलों में जिन पर मुकदमे चलाये गये हैं वे या तो आदिवासी हैं या दलित और ओबीसी.
शर्मा ने बताया कि ये दोनों फिल्में दो वषो के सर्वेक्षण के बाद बनायी गयी हैं और एक तरह से फाइनल सोल्यूशन का फालोअप हैं, जिसमें कि गुजरात दंगों, नरेंद्र मोदी की गौरव यात्रा और 2002 के चुनावों में भाजपा की विजय तक की घटनाएं दर्शाई गयी थीं.