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Papankusha Ekadashi 2022: आज है पापांकुश एकादशी, जानिए कथा

By Gajendra Sharma
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नई दिल्ली, 06 अक्टूबर, Papankusha Ekadashi। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुश एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों का कथन है किइस एकादशी का व्रत करने से अनजाने में किए गए पापों में फंसा मनुष्य मुक्त हो जाता है। इस बार पापांकुश एकादशी गुरुवार को आई है इसलिए यह व्रत उन लोगों के लिए भी करना श्रेष्ठ रहेगा जिनके विवाह होने में बाधा आ रही है। अर्थात् जिन युवक-युवतियों का विवाह किसी न किसी कारण तय नहीं हो पा रहा उन्हें भी यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही जिन दंपतियों का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं है उन्हें भी यह व्रत करना चाहिए।

Papankusha Ekadashi 2022: आज है पापांकुश एकादशी, जानिए कथा

पापांकुश एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विधिवत पूजन करके दिनभर निराहार रहते हुए भगवत्भक्ति करनी चाहिए। दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। विवाह की कामना से जो लोग व्रत कर रहे हैं वे भगवान विष्णु का पीले पुष्पों से श्रृंगार करें और पीली मिठाई का नैवेद्य लगाएं। भगवान को पीतांबर अर्पित करें और स्वयं भी पीत वस्त्र धारण करें। दांपत्य जीवन की कठिनाइयां दूर करने और बल, पुष्टि के लिए भगवान श्रीहरि को शुद्ध घी का भोग लगाएं।

पापांकुश एकादशी व्रत की कथा

विंध्याचल पर्वत पर एक क्रूर बहेलिया रहता था। उसका नाम क्रोधन था। उसने अपना जीवन हिंसा, रक्तपात, लूटपाट, झूठ और पाप कर्म में झोंक दिया। यमराज ने उसके अंतिम समय से एक दिन पूर्व अपने दूतों को उसे लाने भेजा, दूतों ने क्रोधन को बताया किकल तुम्हारा अंतिम समय है, हम तुम्हें लेने आए हैं। मृत्यु के डर से क्रोधन अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचा। उसने ऋ षि से अपनी रक्षा की विनती की। ऋषि को उस पर दया आ गई। संयोग से उस दिन पापांकुश एकादशी थी। ऋषि ने उसे पापांकुश एकादशी का व्रत करने को कहा। उन्होंने क्रोधन को पूजा का विधान भी बताया। उसी के अनुसार बहेलिये ने व्रत किया। भगवान की कृपा से वह सीधे विष्णुलोक को पहुंच गया।

एकादशी का समय

  • एकादशी तिथि प्रारंभ 5 अक्टूबर को दोपहर 12.02 से
  • एकादशी तिथि पूर्ण 6 अक्टूबर को प्रात: 9.42 तक
  • व्रत का पारण 7 अक्टूबर को प्रात: 6.20 से 7.26 तक

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English summary
Papankusha Ekadashi is celebrating 6th October. Read Katha and Puja Vidhi.
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