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Maha Shivratri 2020: भगवान शिव की कृपा पाने का सर्वश्रेष्ठ दिन है महाशिवरात्रि, जानिए तिथि और पूजा विधि

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। भगवान शिव की भक्ति का महापर्व महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी 21 फरवरी 2020 को मनाई जाएगी। सायंकाल सूर्यास्त से लेकर अगले दिन सूर्योदय पर्यंत प्रत्येक प्रहर में भगवान शंकर का पूजन (पाठ, जप, रूद्राभिषेक, आरती, जागरण व संकीर्तन आदि) यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए। स्कंद पुराण में लिखा है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि के समय भूत, प्रेत, पिशाच शक्तियां एवं स्वयं शिवजी पृथ्वीलोक में भ्रमण करते हैं। अत: उस समय शिवजी का पूजन आदि करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। 'निशिभ्रमन्ति भूतानि शक्तय: शूलभृद्यत:। अस्तस्यां चतुर्दश्यां सत्यां तत्पूजनं भवेत्।।" सायंकाल सूर्यास्त काल अर्थात 6 बजकर 22 मिनट से प्रथम प्रहर का प्रारंभ, रात्रि में 9 बजकर 31 मिनट से द्वितीय प्रहर का प्रारंभ, मध्यरात्रि में 12 बजकर 40 मिनट से तृतीय प्रहर का प्रारंभ तथा अपररात्रि 3 बजकर 50 मिनट से लेकर सूर्योदय तक 6 बजकर 59 मिनट तक चतुर्थ प्रहर में पूजा आदि करने की समयावधि रहेगी।

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि पूजन निशिथकाल रात्रि में किया जाता है। चूंकि निशिथकाल में चतुर्दशी तिथि 21 फरवरी की रात्रि में रहेगी, अगले दिन 22 फरवरी को निशिथकाल से पूर्व सायं 7.02 बजे ही चतुर्दशी तिथि समाप्त हो जाएगी और 22 फरवरी को पंचक भी है, इसलिए महाशिवरात्रि का पूजन 21 फरवरी को किया जाएगा।

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महाशिवरात्रि कब से कब तक

महाशिवरात्रि कब से कब तक

  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ 21 फरवरी को सायं 5.20 बजे से
  • चतुर्दशी तिथि पूर्ण 22 फरवरी को सायं 7.02 बजे तक

महाकाल में होती है निशिथकाल में विशेष पूजा

बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख और एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकाल उज्जैन में महाशिवरात्रि पर्व पर महानिशा रात्रि में विशेष पूजा की जाती है। यहां महापूजा में भगवान महाकाल को सप्तधान अर्पित करने के साथ ही उन्हें सेहरा बांधा जाता है। भगवान के अभिषेक-पूजन में शिवसहस्त्र नामावली से सहस्त्र बिल्व पत्र अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भगवान को सप्त ध्ाान्य का मुखौटा धारण कराकर सात प्रकार के धान अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भगवान को सवामन फूल और फल से बना सेहरा बांधा जाता है। यह सप्तधान्य रूद्राष्टाध्यायी के नमक चमक की ऋ चाओं के माध्यम से अर्पित किया जाता है। इसमें 31 किलो चावल, 11 किलो खड़ा मूंग, 11 किलो खड़ा मसूर, 11 किलो गेहूं, 11 किलो जौ, 11 किलो खड़ा उड़द आदि का उपयोग होता है। इस महाशिवरात्रि पर महाकाल में पूजन की शुरुआत शाम 7 बजे कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित भगवान कोटेश्वर महादेव की पूजा अर्चना के साथ होगी। सेहरा श्रृंगार आरती के बाद रात्रि 10 बजे पूजा संपन्न् होगी। इसके बाद रात्रि 11 बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल की महापूजा का क्रम शुरू होगा। भगवान महाकाल का पंचामृत, फलों के रस, केसर मिश्रित दूध से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद गर्म जल से स्नान कराकर नए वस्त्र धारण कराए जाएंगे। महाकाल को पंच मेवे का भोग लगाकर आरती की जाएगी। सुबह 5 से 10 बजे तक भक्तों को सेहरा दर्शन होंगे।

साल में एक बार दिन में भस्मारती

साल में एक बार दिन में भस्मारती

बारह ज्योतिर्लिंग में से केवल महाकाल उज्जैन ही एकमात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं जहां भस्मारती की जाती है। इस भस्मारती का विशेष महत्व है, जिसमें शामिल होने के लिए देशभर के लोग ऑनलाइन बुकिंग कराकर शामिल होते हैं। भगवान महाकाल की भस्मारती प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में होती है, लेकिन महाशिवरात्रि का दिन एकमात्र ऐसा दिन होता है जब दिन में 12 बजे भस्मारती की जाती है। मान्यता है कि भस्मारती में शामिल होने वाले भक्तों के सारे कष्ट और पाप भस्म हो जाते हैं।

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English summary
Maha Shivratri will be observed on February 21 this year.Maha Shivratri (Night of Lord Shiva) is an annual festival that celebrated across India in honour of Lord Shiva.
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