Karwa Chauth 2023: पीरियड्स के दौरान कैसे करें करवा चौथ का व्रत?
पीरियड्स में करवा चौथ का व्रत कैसे करें: प्रेम, तपस्या और भरोसे का व्रत करवा चौथ 01 नवंबर को है, इस व्रत के लिए महिलाएं पूरे साल इंतजार करती हैं लेकिन उनका मूड उस वक्त काफी ऑफ हो जाता है, जब व्रत के पहले उन्हें पीरियड्स हो जाते हैं। उस वक्त मन में बहुत सारी आशकाएं भी जन्म लेने लगती हैं। महिलाओं को समझ में ही नहीं आता है कि व्रत करें ये ना करें और अगर करें तो कैसे करें, तो इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि मासिक धर्म यानी पीरियड्स तो एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे रोका नहीं जा सकता है। हालांकि हमारे यहां के धर्म ग्रंथों में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पूजा पाठ करने, व्रत करने या फिर पूजा स्थल पर जाने से रोका जाता है।
इसी वजह से किसी भी व्रत से पहले जब महिलाओं को मासिक धर्म हो जाता है तो उनके मन में बहुत सारे निगेटिव ख्याल भी आ जाते हैं तो ऐसे में महिलाओं को परेशान, दुखी या भयभीत होने की जरूरत नहीं है। महिलाओं को व्रत भी नहीं छोड़ना चाहिए। अगर पीरियड्स हो गए हैं तो 'कोई बात नहीं' की विचारधारा के साथ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उपवास रखना चाहिए और पूजा स्थान से दूर बैठकर करवाचौथ की कथा भी सुननी चाहिए और पूरी पूजा देखनी चाहिए। आप मन ही मन मां करवा, गौरी-शंकर से अपने पति की लंबी उम्र की कामना की प्रार्थना कर सकती हैं, उसमें कोई आपको नहीं रोक सकता है।
हालांकि पूजा सामग्री नहीं छूनी चाहिए और पूजा स्थल से भी दूर रहना चाहिए। अपने परिवार की किसी महिला या सहेली या रिश्तेदार से पूजा करवानी चाहिए और मन से करवा माता का ध्यान करना चाहिए। पीरियड्स वाली महिला सरगी कर सकती है और निर्जला उपवास भी रख सकती है और पूरे 16 शृंगार करके पूजा का दूर से हिस्सा बन सकती है और अर्ध्य किसी औऱ महिला से दिलवाकर दूर से चांद का दीदार छलनी से कर सकती है और अपने पति के हाथों अपना उपवास खोल सकती हैं।
क्यों मना है पीरियड्स में पूजा-पाठ?
ऐसा माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले रक्तस्त्राव से महिलाओं के शरीर से बहुत सारी ऊर्जाएं निकलती हैं, जो कि हानिकारक होती हैं। इसलिए पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा पाठ करने से रोका जाता है।