Janmashtami 2018: सबको मोहने वाले कन्हैया ने केवल राधा से प्रेम किया, जानिए कुछ रोचक बातें
नई दिल्ली। 3 सितंबर को गोकुल जन्माष्टमी का त्योहार है, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं। वैसे तो मोहिल प्रभु कान्हा जी के बारे में बहुत सारी बातें ऐसी हैं जो दिल को लुभाती हैं और जीवन की समस्याओं में लड़ने की मदद करती हैं लेकिन बहुत सारी बातें ऐसी भी हैं जिनके बारे में लोगों का ज्ञान ही नहीं है, चलिए आज उन्हीं खास बातों का जिक्र करते हैं।
भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार
भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं इन्हें कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश, द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, सुसज्ज महान पुरुष माने जाते हैं इनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था, इन्हें इस युग का सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है।
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बड़े भाई का नाम बलराम
उनके बड़े भाई का नाम बलराम था जो कि शेषनाग के अवतार थे। बलराम का जन्म अष्टमी के दो दिन पहले अर्थात छठ के दिन मनाया जाता है, जिसे कि 'ललई छठ' के रूप में देश में मनाया जाता है। इसके दो दिन बाद श्रीकृष्ण का जन्म माना गया है।
कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है
कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। वैसे कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। मथुरा में आकर उन्होंने मामा कंस का वध किया।
भगवान श्रीकृष्ण ने सिर्फ राधा से ही प्रेम किया
हर कोई जानता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सिर्फ राधा से ही प्रेम किया है लेकिन फिर भी महाभारत, पुराणों या भागवत कहीं भी राधा का जिक्र नहीं है। राधा बरसाना की रहने वाली थीं, ऐसा कहानियों में वर्णित है लेकिन नंदगोपाल की यह सखि उनकी हमजोली नहीं बल्कि उम्र में उनसे बड़ी थीं।
कृष्ण ने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई
भगवान श्री कृष्ण के धनुष का नाम शारंग और अस्त्र का नाम सुदर्शन चक्र था। भगवान श्री कृष्ण की गदा का नाम कौमोदकी और शंख को पांचजन्य कहते थे। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। 125 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलयुग का आरंभ माना जाता है।
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