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Holi 2023: होली में क्यों होता है अबीर-गुलाल का प्रयोग?

Holi Significance: बिना अबीर-गुलाल से रंगों का त्योहार पूरा नहीं होता है, इसके पीछे राधा-कृष्ण के जीवन से जुड़ा एक रोचक तथ्य जुड़ा हुआ है।

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Holi 2023

Holi History: होली हिंदुओं का प्रमुख पर्व है, जिसका इंतजार लोग बेसब्री से करते हैं, दिवाली के बाद होली भी भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। ये पर्व आपसी प्रेम, हर्ष, खुशी और उत्साह का है। कहते हैं होली के दिन इंसान को सारे गिले-शिकवे मिटाकर एक-दूसरे को गले लगा लेना चाहिए और मन की नफरत और कड़वाहट होलिका दहन की अग्नि में स्वाहा कर देना चाहिए। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला ये त्योहार इस महीने की 7 और 8 मार्च को है। 7 मार्च को होलिका दहन है तो वहीं 8 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी।

आखिर राधा इतनी गोरी क्यों हैं?

होली पर अबीर और गुलाल को एक-दूसरे के गालों पर लगाने का रिवाज है, क्या कभी आपने सोचा कि आखिर ऐसा क्यों होता है? होली पर रंग क्यों खेलते हैं? नहीं, तो चलिए आपको बताते हैं इसका राज, दरअसल होली का पर्व कृष्ण -राधा के प्रेम से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस पर्व में प्रेम और मस्ती से जोड़ते हैं। दरअसल ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण का रंग काला था और राधा का वर्ण गोरा, इस बात के लिए हमेशा कान्हा जी अपनी मां यशोदा से पूछा करते थे कि आखिर राधा इतनी गोरी क्यों हैं?

'राधा के चेहरे को गुलाल से रंग दिया'

हालांकि राधा ने कभी भी भगवान श्रीकृष्ण के रंग को लेकर कुछ नहीं कहा लेकिन श्रीकृष्ण तो ठहरे कृष्ण ही इसलिए वो बार-बार मां यशोदा से ये बात कहा करते थे, जिस पर एक दिन मां यशोदा ने भी चुटकी ले ली और उनसे कहा कि 'ठीक है अगर तुम राधा के जैसे नहीं बन सकते तो उसे अपने जैसा बना लो और ये कहकर मां ने कृष्ण के हाथ में अबीर-गुलाल की थाल दे दी, जिसे देखते ही कृष्ण का चेहरा खिल गया और उन्होंने राधा के चेहरे को लाल-पीले, हरे गुलाल से रंग दिया। इस दौरान दोनों के बीच में काफी हंसी और ठिठौली हुई, वो दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा था और तब से ही ब्रज में होली मनाई जाने लगी और होली पर अबीर-गुलाल का प्रयोग शुरू हो गया, इसलिए ब्रज में होली का खास महत्व है।

कब जलेगी होलिका?

इस बार होलिका दहन 7 मार्च को है, जिसका शुभ मुहूर्त शाम 6: 24 PM से रात 8:51 PM तक है, यानी कि होलिका-दहन का कुल समय 2 घंटे 27 मिनट का है।

रंग खेलने से पहले जरूर करें ये काम

रंगों वाली होली 8 मार्च को खेली जाएगी। इस दिन लोगों के घरों मे बहुत सारे पकवान बनते हैं। गुझिया इस पर्व की खास मिठाई है, जिसके बिना तो होली का त्योहार ही पूरा नहीं होता है। वैसे रंग खेलने से पहले हर किसी को पहले अबीर-गुलाल कान्हा जी और राधा जी को अर्पित करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से इंसान के परिवार में हमेशा प्रेम, मोहब्बत और अपनापन बना रहता है।

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English summary
Holi 2023 on 8th March. Abir-Gulal is very important part of this festival, here is the reason.
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