Guru Purnima 2018 : गुरु बिन नाहीं ज्ञान..... इसलिए महत्वपूर्ण है 'गुरु पूर्णिमा'
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नई दिल्ली। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को 'गुरु पूर्णिमा' कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। इस दिन से चार महीने साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम के हिसाब से भी सर्वश्रेष्ठ होते है, इस दौरान न अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान और योग की शक्ति मिलती है।
गुरू दक्षिणा देने की प्रथा
इस दिन अपने-अपने गुरुओं की पूजा करने और उन्हें गुरू दक्षिणा देने का विधान है, क्योंकि बिना गुरु के तो भगवान भी अधूरे हैं। अगर आपके गुरुजन आपके पास नहीं हैं तो इस दिन उनके लिए ऊपरवाले से प्रार्थना जरुर करें।
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सिख धर्म
वैसे ये दिन केवल हिंदू धर्म के लोगों के लिए ही पावन नहीं है, बल्कि ये सिक्ख धर्म के लोगों के लिए भी काफी खास दिन है। वो तो अपने दस गुरुओं के बताए गए रास्ते को ही अपना धर्म और सिद्धांत मानते हैं।
सिख धर्म कहता है....
'गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पांव, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए'।
ऐसे करें पूजा...
- सुबह नहा-धोकर घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु या अपने गुरु का चित्र सामने रखकर पूजा करनी चाहिए और उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए।
- व्यासजी के रचे ग्रंथों का अध्ययन करके उनके उपदेशों पर आचरण करना चाहिए।
- गरीबों और ब्राह्मणों को यथासंभव दान दीजिए।
- खीर का प्रसाद वितरण करना अत्यंत शुभ माना गया है।
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