आखिर क्यों मनाते हैं Good Friday, क्या है इसका महत्व?
नई दिल्ली । भारत देश में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई धर्म और भी ना जाने कितने धर्मों और मतों के लोग अपने-अपने रीति-रिवाजों और त्योहारों को साथ-साथ मिल कर मनाते हैं। फिर भी ईसाई धर्म के त्योहार बाकी मतावलंबियों के लिए बहुत हद तक अनजाने ही बने रहते हैं। हालांकि बड़ा दिन यानी 25 दिसंबर सभी धर्म के लोग मनाते हैं लेकिन 'गुड फ्राइडे' अभी भी बहुत से लोगों के लिए एक रहस्य है।
क्या है 'गुड फ्राइडे'?
आज के ही दिन प्रभु ईसा मसीह दुनिया के कल्याण के लिए सूली पर चढ़ गए थे। 'गुड फ्राइडे' ईसाईयों के लिए प्रेम और क्षमा का दिन होता है। ईसा अपने अनुयायियों को अपने प्रति अपराध करने वालों को भी माफ करने का संदेश दे गए थे।
'गुड फ्राइडे' का अनुमानित वर्ष AD 33
'गुड फ्राइडे' का अनुमानित वर्ष AD 33 है, जबकि आइजक न्यूटन ने बाइबिल और जूलियन कैलेंडर के हिसाब से वो वर्ष AD 34 है। 'गुड फ्राइडे' की शुरुआत 40 दिन पहले ही हो जाती है। इस धर्म के लोग 40 दिन तक व्रत रखते हैं।
रोमन कैथोलिक
रोमन कैथोलिक चर्च 'गुड फ्राइडे' को उपवास दिवस के तौर पर मानता है। जिन देशों में 'गुड फ्राइडे' का दिन अवकाश का दिन नहीं होता, वहां अपराह्न 3 बजे के बाद आमतौर पर कुछ घंटों के लिए कामकाज बंद कर दिया जाता है।
होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे
'गुड फ्राइडे' को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। आपको बता दें कि कि ये धर्म भी अपने मतावलंबियों को प्रेम और क्षमा के अलावा अपनी आत्मा के शुद्धीकरण का संदेश देता है। मान्यता है कि यीशु शुक्रवार से शनिवार तक कब्र में रहने के बाद पुनर्जीवित हो गए थे।
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