अरविंद दंपतीः साधना शब्दों की
पैंतीस
साल
पहले
हुई
थी
शुरुआत
दरअसल
अरविंद
कुमार
के
मन
में
हिन्दी
थिसारस
का
ख्याल
आज
से
35
साल
पहले
ही
जन्म
ले
चुका
था।
अपनी
इस
इच्छा
को
साकार
करने
के
लिए
उन्होंने
टाइम्स
आफ
इंडिया
की
फिल्म
पत्रिका
माधुरी
के
संपादक
पद
से
त्यागपत्र
दे
दिया
और
इस
काम
को
आरंभ
कर
दिया।
उस
दौर
में
यह
काम
कितना
कठिन
रहा
होगा
इसकी
बस
कल्पना
भर
की
जा
सकती
है।
कार्ड
और
ट्रे
से
की
मदद
से
जुड़ते
शब्द
उनके
पास
एक
आधुनिक
थिसारस
बनाने
का
कोई
उपयुक्त
मॉडल
नहीं
था।
उस
वक्त
तक
मौजूद
मॉडल
रोजट
थिसारस
और
अमर
कोश
आज
के
जमाने
और
बदलती
संस्कृति
के
मुताबिक
खरे
नहीं
साबित
हो
रहे
थे।
अरविंद
दंपती
ने
शब्द
संकलन
के
लिए
कार्ड
और
ट्रे
का
सहारा
लिया।
प्रत्येक
कार्ड
को
उसके
विषय
और
उपविषय
के
मुताबिक
अलग-अलग
ट्रे
में
रखते
गए।
दो
लाख
50
हजार
शब्दों
का
संसार
पहला
मनपसंद
माडल
तैयार
होते-होते
14
साल
बीत
गए।
तब
तक
60
हजार
से
ऊपर
कार्डों
में
दो
लाख
50
हजार
से
ज्यादा
शब्द
और
अभिव्यक्तियां
लिखी
जा
चुकी
हैं।
इसी
बीच
अप्रत्याशित
ढंग
से
इस
काम
में
कदम
रखा
उनके
बेटे
ने।
दिल्ली
के
राम
मनोहर
लोहिया
अस्पताल
में
सर्जन
उनके
बेटे
को
महसूस
हुआ
कि
बिना
कंप्यूटर
के
इस
काम
को
बेहतर
तरीके
से
नहीं
किया
जा
सकता।
सदी
की
सर्वश्रेष्ठ
पुस्तक
सुमीत
ने
अपनी
बचत
से
कंप्यूटर
खरीदा,
प्रोग्रामिंग
सीखी
और
फाक्स-प्रो
पर
थिसारस
के
लायक
एक
प्रोग्राम
तैयार
किया।
इसकी
मदद
से
अरविंद
दंपती
ने
समांतर
कोश
हिन्दी
थिसारस
तैयार
किया
और
स्वाधीनता
की
स्वर्ण
जयंती
पर
विशेष
उपहार
के
बतौर
नेशनल
बुक
ट्रस्ट
ने
इसे
प्रकाशित
किया।
इसे
'सदी
की
सर्वश्रेष्ठ
पुस्तक'
के
खिताब
से
नवाज़ा
गया।
...सफर
अभी
बाकी
है
मगर
सफर
अभी
बाकी
था।
अरविंद
दंपती
ने
अगले
दस
साल
फिर
इस
महायज्ञ
में
होम
किए
और
संसार
का
सबसे
अद्वितीय
द्विभाषी
थिसारस
तैयार
किया।
द
पेंगुइन
इंग्लिश-हिंदी/हिदी-इंग्लिश
थिसारस
ऐंड
डिक्शनरी
अपनी
तरह
एकमात्र
और
अद्भुत
भाषाई
संसाधन
है।
यह
किसी
भी
शब्दकोश
और
थिसारस
से
आगे
की
चीज़
है
और
संसार
में
कोशकारिता
का
एक
नया
कीर्तिमान
या
रिकार्ड
स्थापित
करता
है।
इतना
बड़ा
और
इतने
अधिक
शीर्षकों
उपशीर्षकों
वाला
संयुक्त
द्विभाषी
थिसारस
और
कोश
इस
से
पहले
नहीं
था।
द्विभाषी
थिसारस
की
खूबियां
इसकी
रचना
उन
सभी
भारतीयों
को
ध्यान
में
रख
कर
की
गई
है
जो
हिंदी
और
इंग्लिश
में
से
किसी
भी
या
दोनों
भाषाओं
में
काम
करते
हैं,
जो
अपनी
इंग्लिश
या
हिंदी
शब्दावली
समृद्ध
करना
चाहते
हैं,
और
जिन्हें
भारतीय
और
अंतरराष्ट्रीय
कनसैप्टों,
धारणाओं,
मान्यताओं,
विश्वासों,
विचारधाराओं
के
परस्पर
संदर्भों
की
तलाश
रहती
है।
उन
लोगों
के
लिए
जो
हिंदी
सीख
रहे
हैं,
जैसे
अमरीकी,
या
फिर
वे
लोग
जो
किसी
अँगरेजी-भाषी
देश
के
नहीं
हैं,
लेकिन
हिंदी
सीख
रहे
हैं--चाहे
वे
रूस
के
हों,
या
इटली
के,
या
जापान
के,
यह
वरदान
है।
मिसाल
बने
अरविंद
दंपती
बहुत
कम
लोगों
को
पता
है
कि
हिन्दी
भाषा
को
इतना
अमूल्य
योगदान
देने
वाले
अरिवंद
कुमार
का
नाम
कुछ
उन
गिने-चुने
पत्रकारों
में
लिया
जा
सकता
है
जिन्होंने
हिन्दी
की
पत्रकारिता
को
नए
आयामों
से
परिचित
कराया।
अरविंद
कुमार
ने
सर्वोत्तम
रीडर्स
डाइजेस्ट
और
माधुरी
जैसी
पत्रिकाएं
हिन्दी
को
दीं।
सत्तर
के
दशक
में
कला
सिनेमा
आंदोलन
को
एक
नया
नाम
समांतर
सिनेमा
देने
वाले
अरविंद
कुमार
ही
हैं।
कुछ लोगों के लिए किस तरह जिंदगी एक कभी न खत्म होने वाला दिलचस्प सफर होती है... अरविंद दंपति इसकी एक मिसाल हैं।