Chaitra Navratri 2021: घोड़े पर सवार होकर आई हैं माता रानी, जानिए क्या होगा असर?
नई दिल्ली, 13 अप्रैल। आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हुई है। इस बार मां का आगमन अश्व पर हुआ है, मालूम हो कि दिन के हिसाब से माता की सवारी हर नवरात्रि में बदल जाती है। अश्व यानी घोड़ा युद्ध का प्रतीक है, इसलिए कुछ पंडितों के मुताबिक ये नवरात्रि शासन और सत्ता पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं लेकिन घोड़ा तेज गति, सुंदरता और वैभव का भी मानक है, ऐसे में जो लोग मां दुर्गा के सच्चे भक्त हैं, उन्हें सुख, वैभव, गति और प्रगति भी प्राप्त होगी।
घोड़े पर सवार होकर आई हैं माता रानी...
वैसे पुराणों में वर्णन है कि घोड़े पर जब भी माता सवारी करती हैं, वहां हर चीज काफी तेज गति और अधिक मात्रा में होती हैं, जैसे की गर्मी बहुत पड़ती है, लोगों के बीच मतभेद बहुत ज्यादा दिखते हैं, सत्ता में उथल-पुथल जारी रहती है। मालूम हो कि घोड़ा जल्दी शांत नहीं रहता है, उसका स्वभाव बेचैनी वाला है इससे अनुमान लगाया जाता है इस साल जनता में भी व्याकुलता देखी जाएगी।
Recommended Video
माता रानी की वापसी हाथी पर होगी...
जिस तरह से माता के आगमन की सवारी लोगों पर असर डालती है, उसी तरह से माता की विदाई की भी सवारी भी प्रभाव छोड़ती है। इस बार नवरात्रि की समाप्ति 21 अप्रैल को हो रही है, उस दिन राम नवमी और दिन बुधवार है, यानी कि उस दिन मां की सवारी हाथी पर होगी। हाथी भी युद्ध, ताकत और वैभव का मानक है। ऐसे में शासन या सत्ता पर जरूर खींचतान जारी रहेगी लेकिन देश में वैभव भी रहेगा, अच्छी बारिश होगी और जनता बेचैन लेकिन सुखी रहेगी। कुल मिलाकर चैत्र नवरात्रि का असर लोगों पर मिला-जुला रहेगा।
मां की सवारी दिन के हिसाब से तय होती है...
- सोमवार को मां की सवारी: हाथी।
- मंगलवार को मां की सवारी: अश्व यानी घोड़ा।
- बुधवार को मां की सवारी: नाव।
- गुरूवार को मां की सवारी: डोली।
- शुक्रवार को मां की सवारी: डोली।
- शनिवार को मां की सवारी: अश्व यानी घोड़ा।
- रविवार को मां की सवारी: हाथी।
इन मंत्रों से कीजिए मां दुर्गा को प्रसन्न
- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
यह पढ़ें: Nav Samvatsar 2078: मूलांक 1 वालों के काम धीमी गति से होंगे