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Ahoi Ashtami 2018: अहोई अष्टमी आज, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

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नई दिल्ली। आज उत्तर भारत में मनाया जाने वाला अहोई अष्टमी का व्रत हैं। बच्चों के लिए मांए आज अहोई का दिन भर व्रत रखती हैं, करवा चौथ के ठीक चौथे दिन अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत होता है। वैसे यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु और सुखमय जीवन की कामना से पुत्रवती महिलाएं करती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं इस व्रत को संतान की प्राप्ति के लिए भी करती हैं। कृर्तिक मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में यह व्रत रखा जाता है इसलिए इसे अहोई अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

अहोई अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त

अहोई अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 31 अक्‍टूबर 2018 को सुबह 11 बजकर 09 मिनट से
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 01 नवंबर 2018 को सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक
  • पूजा का शुभ समय: 31 अक्‍टूबर 2018 को शाम 05 बजकर 45 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक
  • कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट
  • तारों को देखने का समय: 31 अक्‍टूबर को शाम 06 बजकर 12 मिनट
  • चंद्रोदय का समय: 1 नवंबर 2018 को रात 12 बजकर 06 मिनट

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पूजा विधि

पूजा विधि

सबसे पहले अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर माता का चित्र बनाया जाता है। जिसमें उनके 7 पुत्रों का भी चित्र है। फिर उनके सामने चावल की ढीरी (कटोरी), मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दिया रखकर कहानी कही जाती है। कहानी कहते समय जो चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/ सूट के दुप्पटे में बाँध लेते हैं। सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं लोटे का पानी शाम को चावल के साथ तारों को आर्ध किया जाता है। यही नहीं शाम को माता के सामने दिया जलाते हैं और पूजा का सारा सामान पंडित जी को दिया जाता है। अहोई माता का कैलंडर दिवाली तक लगा रहना चाहिए।

चांदी की अहोई

चांदी की अहोई

अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं।

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English summary
Ahoi Ashtami is celebrated in the Hindu month of Kartik, which falls approximately between September and October according to the English Gregorian calendar. Ahoi Ashtami is widely observed in the Northern states of India.
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